श्रावण के माह में राजाधिराज महाकाल के दरबार में विशिष्टजनों का आगमन सामान्य बात है। सावन के समय महाकाल के दरबार में हर दो चार दिन में कोई ना कोई वीआईपी आ रहा है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का नगर आगमन भी हुआ था। इस दौरान उन्होंने जो मिसाल पेश की है। उसे हर नेता को देखना और अपनाना चाहिये।
विधानसभा अध्यक्ष ने एक सामान्य दर्शनार्थी के भांति महाकाल में दर्शन किये। उन्होंने किसी तरह का कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं अपनाया। सामान्य श्रद्धालु की भांति रैलिंग के पीछे खड़े होगर दर्शन किये। जबकि लगातार यह देेखने में आ रहा है कि जब भी मंदिर में दर्शन करने कोई वीआईपी आता है तो सबसे पहले वह नंदी हाल में ही प्रवेश करता है। कई वीआईपी तो काफी देर तक नंदी हाल में ही बैठे रहते हैं। उनके साथ जो लोग रहते हैं उनके कारण आम श्रद्धालुओं को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कई बार तो वीआईपी के आगमन के समय उनके साथ आये लोग इतनी अव्यवस्था फैला देते हैं कि रैलिंग में खड़े श्रद्धालु उन्हें कोसने लगते हैं। आखिर श्रद्धालु भी बड़ी दूर से राजाधिराज के दर्शन करने आते हैं और वीआईपी के आगमन के समय उन्हें असुविधा होती है। शायद विधानसभा अध्यक्ष ने आम श्रद्धालु की इसी भावना का सम्मान किया है।