केवल एक दिन मिली गर्भगृह में पुजारी परिवार की महिलाओं को अभिषेक करने की अनुमति

श्रावण के अंतिम प्रदोष पर्व के चलते सुबह 8 से 9 बजे तक कलेक्टर ने दी विशेष अनुमति

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में कोरोना संक्रमण के चलते करीब डेढ़ वर्ष से अधिक समय से गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है। लेकिन शुक्रवार को श्रावण माह का अंतिम प्रदोष पर्व होने के कारण कलेक्टर ने पुजारी परिवार की महिलाओं को सुबह 1 घंटे के लिए जल चढ़ाने के लिए प्रवेश की अनुमति प्रदान की। यह अनुमति केवल एक ही दिन के लिए थी। पुजारी-पुरोहितों के विशेष अनुरोध पर केवल एक दिन के लिए निर्णय लिया गया।

महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शुक्रवार को मंदिर प्रशासन ने पुजारी परिवार की करीब 25 महिलाओं को प्रवेश की अनुमति प्रदान की। प्रदोष पर्व के चलते सुबह 8 से 9 बजे तक 1 घंटे के लिए जल चढ़ाने के लिए प्रवेश दिया गया। करीब डेढ़ वर्ष से विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में कोरोना संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है। इसके साथ ही पुजारी-पुरोहितों की 1500 रुपए अभिषेक रसीद पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। जिसमें 2 श्रद्धालुओं को गर्भगृह में ले जाकर अभिषेक पूजन करवाने की अनुमति है। शुक्रवार को करीब 25 महिलाओं ने गर्भगृह में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर जल अर्पित किया। कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर सहायक प्रशासक प्रदीप द्विवेदी ने 1 घंटे के लिए पुजारी परिवार की महिलाओं को जल अर्पित करने की अनुमति प्रदान की।

नियमित महिलाओं ने भी मांगी अनुमति

इस बात की जानकारी विगत 40 वर्षों से बाबा महाकाल की भस्म आरती के पहले हरिओम का जल चढ़ाने वाली 50 से अधिक महिलाओं को भी कोरोना संक्रमण के चलते भस्म आरती के पहले जल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वर्षों से आने वाली इन महिलाओं को मंदिर प्रशासन ने अभी तक अनुमति नहीं दी है। इन महिलाओं ने भी मंदिर प्रशासन से गर्भगृह के अंदर जाने की अनुमति मांगी है।

केवल एक दिन के लिए दी अनुमति

जानकारी में आया है कि पुजारी-पुरोहितों के अनुरोध पर कलेक्टर श्री सिंह द्वारा विशेष अनुमति प्रदान की गई। शुक्रवार को श्रावण मास का अंतिम प्रदोष पर्व था, जिसके चलते व्रत, स्नान करने वाली पुजारी परिवार की महिलाओं को भगवान महाकाल को जल अर्पित करना था। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था क्योंकि विगत डेढ़ वर्ष से मंदिर के गर्भगृह में पुजारी-पुरोहितों के अलावा किसी अन्य का प्रवेश प्रतिबंधित किया हुआ है। केवल एक घंटे के लिए पुजारी परिवार की महिलाओं को प्रवेश दिया गया था। ज्ञातव्य रहे कि प्रदोष पर्व के दौरान भगवान महाकाल व्रत रखते हैं। उनको सुबह दूध का नैवेद्य लगाया जाता है और संध्या आरती के समय उनको भोग अर्पित किया जाता है। इस पूरे दिन भगवान महाकाल निराहार रहते हैं।

इनका कहना है

विशेष अनुरोध पर पुजारी परिवार की महिलाओं को वरिष्ठ अधिकारियों ने गर्भगृह में केवल एक दिन के लिए जल चढ़ाने की अनुमति प्रदान की। -प्रतीक व्दिवेदी, सहायक प्रशासक

 

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