महाकालेश्वर मंदिर सहित रामघाट पर छोटे-छोटे बच्चों से मंगाई जा रही भीख, महिला बाल विकास विभाग निष्क्रिय
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के अलावा रामघाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। दूसरे शहरों से भिक्षुकों ने आकर यहां पर डेरा जमा लिया है। जोकि अपने बच्चों से भी भिक्षावृत्ति करवा रहे हैं। श्रद्धालुओं को ठगने के लिए अपने बच्चों के हाथ-पैर टूटे बता कर उनकी दया हासिल कर उनकी जेब ढीली कर रहे हैं। रामघाट तक इस तरह का वाकया घटित हो चुका है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी त्योहारों के अवसर पर कार्रवाई करने की जगह मौन साधे बैठे हैं।
भिक्षुक लोगों की जेब ढीली करने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसा ही एक मामला रामघाट पर हुआ। भिक्षावृत्ति करने वाले मां बाप अपने बच्चे के पैर में पट्टा बांध कर व्हील चेयर पर भीख मांग रहे थे। लेकिन वहां पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की नजर जब उस पर पड़ी तो उन्होंने मां बाप से उसका पट्टा खोलने को कहा। बड़ी मुश्किल से मां-बाप ने जब बच्चे का पैर का पट्टा खोला और सुरक्षाकर्मी ने बच्चे से दौड़ लगाने को कहा तो बच्चा सरपट दौड़ता हुआ दूर खड़ी अपनी मां के पास पहुंच गया।
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश भर से भिक्षुक आकर यहां पर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। उनके द्वारा बच्चों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इस मामले पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।
तिलक लगाकर भीख मांगने का नया तरीका
श्री महाकालेश्वर मंदिर के आसपास विगत 28 जून से मंदिर खोलने के पश्चात बाल भिक्षुकों की भीड़ उमड़ आई है। जोकि सीधे तौर पर भीख ना मांगते हुए हाथ में तिलक लगाने की थाली लिए श्रद्धालुओं के सामने आ जाते हैं और जबरन तिलक लगाकर उनकी जेब ढीली करते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं को तिलक लगवाना चाहिए लेकिन यहां पर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए हैं।
ऐसे में मंदिर के बाहर ढेरों की संख्या में बाल भिक्षुक तिलक लगाने के रोजगार से जुड़ गए हैं और अपने माता-पिता को कमा कर दे रहे हैं। उनके माता-पिता भी इसी काम में लगे हुए हैं। कुछ दिन पहले शहडोल निवासी एक दंपत्ति महाकालेश्वर मंदिर दर्शन करने के लिए आया था। उसने बाल भिक्षुक को तिलक लगाने से मना किया तो विवाद हो गया और उसके मां-बाप ने दंपति के साथ जमकर मारपीट की थी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि श्रद्धालु भी इनसे सुरक्षित नहीं हैं।
यह आसपास की बस्तियों के ही बाल भिक्षुक होने के कारण यह खुलेआम पुलिस के सामने श्रद्धालुओं को तिलक छापे लगा रहे हैं। कुछ दिन पहले महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम महाकालेश्वर मंदिर बाल भिक्षुकों का सर्वे करने के लिए आई थी। उसने केवल रजिस्टर में तिलक लगाने वाले छोटे बच्चों के नाम और उनके माता-पिता के नाम दर्ज किए और वहां से चले गए। कोई भी कार्रवाई इस विभाग के द्वारा इस मामले को लेकर आज तक नहीं की गई है। ऐसे में तिलक लगाने वाले बाल बच्चों के मां-बाप और बच्चे बिना किसी डर के तिलक छापे लगाकर कोरोना संक्रमण को आमंत्रित कर रहे हैं।