पापों का प्रायश्चित, आगे न करने के संकल्प का पर्व है पर्युषण

श्वेतांबर जैन समाज के पर्यूषण पर्व शुरू, खाराकुआ पेढ़ी मंदिर पर आचार्य श्री मुक्त सागर सूरी ने बताये पांच कर्तव्य

उज्जैन। वर्ष भर हमारे द्वारा जो भी पाप व कर्म बंध किए जाते हैं उनके प्रायश्चित व आगे ऐसा न करने का संकल्प लेने का पर्व है पर्यूषण। पाप को रग-रग विसर्जित कर दें वह है पर्व। स्कूलों का स्तर पर में व्यक्ति को आत्म शुद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए।

यह बात पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन आचार्य मुक्ति सागर सुरीश्वर ने श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं मंदिर उपाश्रय में प्रवचन दौरान व्यक्त किये। उन्होंने प्रथम दिन पांच कर्तव्य बताएं। जो अमारी प्रवर्तन ,अहिंसा, साधार्मिक भक्ति, क्षमापना, अट्टम तप व चैत्यपरिपाटी है। उन्होंने कहा कि कर्तव्यों का जीवन में पालन अत्यंत जरूरी है।

प्रवचन दौरान साध्वी शशिप्रभा श्रीजी, साध्वी दमिता श्रीजी मसा सहित अन्य साध्वी मंडल भी उपस्थित रहे। बता दें कि पर्व के चलते आचार्य श्री अभ्युदयपुरम संकुल से खाराकुआ पेढ़ी मंदिर पधारे हैं। उनकी निश्रा में ही पर्यूषण पर्व की सम्पूर्ण आराधना होगी। कोविड-19 के चलते प्रवचन में सीमित संख्या में ही लोग उपस्थित हो रहे है।

पर्व के चलते शहर के सभी प्रमुख श्वेतांबर मंदिरों में आकर्षक विद्युत साज-सज्जा की गई है साथ ही सुबह अभिषेक, स्नात्र पूजन व संध्या में प्रभु की आकर्षक अंगरचना कर आरती की जा रही है। 8 दिनों के पर्व अंतर्गत कई समाज जन गर्म जल के उपवास एवं अन्य विशिष्ट धार्मिक क्रियाएं करेंगे। जानकारी पेढ़ी ट्रस्ट के सचिव नरेंद्र जैन दलाल ने दी।

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