अप्रैल-मई-जून में कई जाने ले चुका कोरोना फिर दबे पांव आ रहा है। शहर में इसकी रफ्तार भले ही काफी धीमी है, लेकिन प्रदेश में कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र और खासकर मुंबई में तो तीसरी लहर की आहट के संकेत स्पष्ट तौर पर दिये जा चुके हैं। ऐसे में अब कुछ अनुशासन और कुछ सख्ती आवश्यक हो गई है।
अनुशासन तो खुद को ही बनाना होगा, जैसे मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइजेशन, जो कि हम लगभग भूल चुके हैं। वहीं सख्ती की दरकार प्रशासनिक स्तर पर जरूरी है। इन दिनों महाकालेश्वर मंदिर में देश भर के दर्शनार्थी पहुंच रहे हैं, इनमें गुजरात और महाराष्ट्र के लोग भी शामिल हैं। यहां आकर यह लोग दर्शन के लिए पूरे शहर में घूमते हैं। जो कि संक्रमण फैलने का बड़ा खतरा है।
दूसरी लहर के दौरान भी हमसे यही भूल हुई थी। हर स्तर पर मान लिया गया था कि कोरोना खत्म हो चुका है। सारी पाबंदियां हटा ली गई थीं। बाहर से आने वाले लोगों को भी पूरी तरह छूट दे दी गई और परिणाम इतना भयावह हुआ कि हालात संभालना मुश्किल हो गये थे। शहर में मौत का ऐसा तांडव हुआ कि उससे लगभग हर व्यक्ति प्रभावित हुआ है।
ऐसी गलती प्रशासन को अब नहीं दोहराना चाहिए। जब तीसरी लहर के संकेत मिल चुके हैं तो ऐसे में अब प्रशासनिक स्तर पर ज्यादा सतर्कता और पाबंदी की जरूरत है।