मृत्यु पूर्व बयान पर दी कोर्ट ने सजा
उज्जैन, अग्निपथ। मामूली विवाद होने पर माँ ने बेटे के साथ मिलकर पड़ोसन को जिंदा जलाकर मार डाला था। करीब चार साल पहले ग्राम तालौद में हुई घटना में गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। न्यायालय ने पीडि़ता के मृत्यू पूर्व बयान के आधार पर दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी है।
चिंतामण रोड स्थित ग्राम तालौद निवासी रामकन्याबाई पति हरीशचन्द्र (40) का किसी बात पर पड़ोसन उमा पति प्रहलाद से विवाद था। इसी के चलते रामकन्या 3 जून 2017 की सुबह करीब 8 बजे पुत्र राहुल (19) के साथ उमा के घर पहुंची। उसने झगड़ा करते हुए साथ में लाई घासलेट की केन उस पर उड़ेल दी और राहुल ने आग लगा दी। उमा को गंभीर हालत में जिला अस्पताल भर्ती कराया यहां 4 जून को नायब तहसीलदार आलोक चौरे को उमा ने दोनों मां-बेटे द्वारा जलाना बताया। तत्पश्चात उमा को निजी अस्पताल में रैफर किया गया जहां 6 जून को उसकी मौत होने पर महाकाल पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया।
मामले में अब तक की सुनवाई के बाद गुरुवार को नवम अपर सत्र न्यायाधीश अंबुज पाण्डेय ने फैसला सुनाया। उन्होंने रामकन्या व राहुल को दोषी सिद्ध होने पर उम्रकैद के साथ ही एक हजार रुपए अर्थदंड दिया। प्रकरण में शासन का पक्ष एजीपी रविंद्रसिंह कुशवाह ने रखा। जानकारी उपसंचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने दी।
गवाह पलटने पर भी बचाव नहीं
खास बात यह है कि घटना के प्रत्यक्षदर्शी व अन्य साक्षी पक्षद्रोही होकर कोर्ट में पलट गए। लेकिन उमा ने मृत्यु पूर्व रामकन्याबाई तथा राहुल द्वारा उसे जलाने का बयान दिया था। कोर्ट ने उसके कथन पर विश्वास कर दोनों को सजा दे दी।
सजा में नरमी की अपील खारिज
अभियुक्त को उनके वकील ने गरीब और पहली बार अपराध होना बताते कोर्ट से नरम रूख अपनाने की अपील की। न्यायालय ने कहा अभियुक्तगण द्वारा किए अपराध के तरीके और उसकी गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुये सजा दी गई है।