महिदपुर ( विजय चौधरी), अग्निपथ । शक्ति की उपासना का महापर्व नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है । इसे दृष्टिगत रखते हुए नगर के विभिन्न माता मंदिरों एवं उपासना स्थलों पर जोर शोर से तैयारियां चल रही है । वही नगर के शिप्रा तट स्थित प्रसिद्ध श्री महालक्ष्मी देवी जी मंदिर शासन प्रशासन के जिम्मेदारों की हठधर्मिता एवं उदासीनता का शिकार हो रहा है ।
मालवा ही नहीं अपितु राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले श्री महालक्ष्मी देवी जी मंदिर के आम रास्तों को विगत तीन-चार वर्षों से साजिश के तहत अतिक्रमण, गंदगी व कांटे लगाकर निरंतर सीकोड़ कर बंद करने का षडयंत्र रचा जा रहा है ।
स्थानीय जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों एसडीएम, तहसीलदार एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी को जागरूक नागरिको एवं पत्रकारों द्वारा देवी जी मंदिर के रास्ते की समस्या को लेकर अनेक बार लिखित एवं प्रत्यक्ष रूप से अवगत कराने के बावजूद इनके द्वारा समस्या का निराकरण नहीं किया जा रहा है । प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण बेरजाली मस्जिद के पीछे सत्या शमशान के रास्ते से होकर देवी जी मंदिर जाने वाले 18 फीट चौड़े रास्ते को विघ्न संतोषी तत्वों द्वारा बार-बार कांटे, बागड़ लगाकर व अतिक्रमण करके स्थाई रूप से बंद किया जा रहा है ।
मंदिर समिति एवं सामाजिक संगठनों की उदासीनता
कहने एवं बताने को तो नगर में श्री महालक्ष्मी देवीजी मंदिर समिति सहित अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन चल रहे है ं। जिनको प्रेस, मीडिया एवं सोशल मीडिया में छपास एवं प्रचार प्रसार की बीमारी लगी हुई है । इन समितियो व संगठनों के पदाधिकारियों का ध्यान वास्तविक समस्याओं की ओर नहीं जाने से छोटी-छोटी समस्याएं धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर रही है । यही स्थिति श्रीदेवीजी मार्ग को लेकर भी बन रही है ।
नगर पालिका ने नहीं की मार्गों की साफ सफाई
विगत अनेक वर्षों से नवरात्रि महापर्व के पूर्व नगर पालिका द्वारा विभिन्न माता मंदिरों सहित श्री देवीजी मंदिर मार्ग पर विशेष सफाई अभियान चलाया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष नगर में कहीं भी ऐसा दिखाई नही दे रहा है। यहां तक कि पूर्व के वर्षों में देवी जी मंदिर के रास्ते को जेसीबी मशीन द्वारा रास्ते में आ रही पेड़ों की डालियां, झाडिय़ां एवं उबड़ खाबड़ मार्ग को सुगम बनाया जाता था। साथ ही अतिरिक्त प्रकाश व्यवस्था करके श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान रखा जाता था।इस वर्ष जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं होने से श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होकर उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ।