अन्नदाता परेशान; डीएपी की किल्लत बरकरार एनपीके का नया रेक आया

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डीएपी के विकल्प के तौर पर यूरिया भी नहीं मिलने से किसान हो रहे परेशान

उज्जैन, अग्निपथ। संभाग में डीएपी की किल्लत बरकरार बनी हुई है। सरकारी एजेंसियों के पास डीएपी नहीं है। वह विकल्प के तौर पर एनपीके और यूरिया को इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। परन्तु यूरिया नहीं मिल रहा है। सरकार की नीति की वजह से यूरिया और डीएपी निजी विक्रेताओं को नहीं मिल पा रहा है। यानी बाजार में आने पर किसान दुकान-दर-दुकान चक्कर लगाकर लौट रहा है। परन्तु उसे खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है। अभी बुवाई का सीजन है,ऐसे में किसान डीएपी या यूरिया को ब्लैक में भी खरीद रहा है।

कृभकों ने शर्त लगाई, तो व्यापारियों ने खरीदने से किया इनकार

बताया जाता है कि 28 अक्टूबर को कृभको का रैक लगदा था। 3 हजार टन यूरिया आया था। परन्तु कृभको ने नीजि व्यापारियों को शर्त के साथ सप्लाई करने प्रस्ताव दिया। इसमें एक छह सौ बोरी की गाड़ी के साथ छह बोरी का चने का बीज खरीदने था। यूरिया के 45 किलो के एक बैग की कीमत 266.50 पैसे और चना के 40 किलो के एक बैग की कीमत करीब 2800 सौ रुपए बताई जा रही थी। इसे व्यापारियों ने खरीदने से इनकार कर दिया।

क्योंकि एक यूरिया की गाड़ी 159900 के साथ ही व्यापारी को इससे ज्यादा का चने का बीज भी खरीदना होगा। यानी 7200 रुपए क्विंटल के हिसाब से व्यापारी को कंपनी से चने का बीज मिलेगा, जबकि यह बीज बाजार में 5600 रुपए के हिसाब से बिक रहा है। वहीं कुछ कंपनियां जैविक द्रव्य खरीदने की शर्त लगा रही हैं। यह जैविक द्रव्य 25 टन का 37500 रुपए का व्यापारी को पड़ता है।

पीओएस मशीन भी संकट का कारण

कई व्यापारियों के पास खाद-बीज की उपलब्धता है तो वे पीओएस मशीन की वजह से विक्रय नहीं कर पा रहे हैं। मशीन में नेटवर्क नहीं आने की वजह से किसान का आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और अंगूठा नहीं लग पाता है। इसके चलते उसे खाद-बीज का विक्रय नहीं हो पाता है। सरकार के निर्देश हैं कि वगैर पीओएस मशीन के खाद-बीज का विक्रय नहीं किया जाना है।

कई बार व्यापारी किसान को खाद-बीज दे देता है तो किसान ओटीपी नहीं देते हैं। इससे भी व्यापारी अब पीओएस मशीन से कंफर्म होने के बाद भी खाद-बीज का विक्रय कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि एनआईसी का सरवर स्लो होने से विवाद की स्थिति बन रही है।

कितने किसान खातेदार और कितने नहीं इसका पता नहीं

बताया जाता है कि सरकार की सेवा सहकारी समितियों को ही खाद-बीज देने के फैसले में सबसे बड़ी खामी यह है कि सोसायटी में कितने किसान खातेदार हैं और उनकी कितनी जमीन है। उन्हें कितनी खाद की जरूरत है इसकी स्थिति साफ नहीं है। अगर यह स्थिति साफ हो जाए तो खाद की किल्लत की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

सोसायटी के पदाधिकारी खाद की काला-बाजारी कर रहे हैं उस पर रोक लग सकती है। जो किसान गैर खातेदार और डिफाल्टर हैं उन्हें खाद कैसे मिलेगा, इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। नीजि दुकानदारों को खाद नहीं मिलने से वे अधिक दाम पर खाद-बीज खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

एक साथ पचास बैग देने पर नोटिस

बताया जाता है कि कृषि विभाग ने पीओएस मशीन, और जरूरतमंद किसान को खातेदार होने पर ही खाद-बीज देने के निर्देश दिए हैं। कई किसान एक साथ पचास बैग दुकानों से खरीदकर ले जा रहे हैं। व्यापारी सारी दस्तावेजी खानापूर्ति करके किसान को खाद-बीज दे रहा है, इसके बाद भी उसे कृषि विभाग से एक साथ पचास बैग बेचने पर नोटिस दिया जा रहा है। उनके द्वारा किसानों का सत्यापन कराया जा रहा है। इससे व्यापारी के सामने परेशानी हो गई है। मंडी एक एक दर्जन से ज्यादा व्यापारियों को कृषि विभाग ने इस संबंध में नोटिस दे दिए हैं।

28 अक्टूबर को तीन हजार टन का यूरिया का रैक आया था, इसे डबल लाक में रखवा दिया है। अभी यूरिया की जरूरत किसान को नहीं है। फसल बुवाई के समय में डीएपी की आवश्यकता होती है। यह अभी हमारे पास नहीं है। इसके विकल्प के तौर पर एनपीके डालने की सलाह दी गई है। एनपीके का एक रैक 2700 टन का आज ही आया है। किसानों को यह जल्द ही सोसायटी के माध्यम से उपलब्ध करा दिया जाएगा। व्यापारियों को यूरिया के साथ चने के बीज की गाड़ी खरीदने की शर्त नहीं लगाई गई है। क्योंकि हमारे पास चने का बीज ही नहीं है। -रामजीलाल शर्मा, इंचार्ज कृभको सप्लाई

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