कार्तिक मास की पहली सवारी निकली, पेड़ की टहनी गिरने से हादसा होते बचा

Mahakal sawar

उज्जैन, अग्निपथ। सोमवार को कार्तिक अगहन मास की भगवान महाकाल की पहली सवारी धूमधाम से निकाली गई। सवारी निकलने से पूर्व सभामंडप में पूजन अर्चन किया गया। सवारी बड़ा गणपति के सामने से होकर निकलने के बाद महाकाल प्रवचन हॉल के मुख्य द्वार के पास लगे पेड़ की बड़ी टहनी गिर गई। हालांकि इस हादसे में कोई भी चपेट में नहीं आया। इसके बाद तुरत फुरत इसको वहां से हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। वहीं सवारी निकलने से पूर्व आम और खास श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया गया था।

सभामंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ द्वारा किया गया। पूजन अर्चन के बाद सवारी को मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ सहित अन्य अधिकारियों ने कंधा देकर रवाना किया। पालकी का पूजन परिसर में सिद्धि विनायक मंदिर के पुजारियों द्वारा किया गया। पश्चात मुख्य द्वारा पर गार्ड आफ आनर देकर सवारी को रवाना किया गया। आगे-आगे घुड़सवार दल चल रहा था।

बड़ा गणपति मंदिर पर सवारी के स्वागत के बाद पालकी हरसिद्धि मंदिर से सिद्ध आश्रम होती हुई रामघाट पहुंची। यहां पर पूजन अर्चन के बाद पालकी को फिर से रवाना किया गया। वापसी में पालकी रामानुजकोट, हरसिद्धि की पाल होती हुई हरसिद्धि मंदिर के सामने से होती हुई महाकालेश्वर मंदिर वापस पहुंची।

जबरदस्त कर रखी थी बेरिकेडिंग

कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन ने लोगों का सवारी में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। जिसके चलते मंदिर पहुंचने के सभी पहुंच मार्गों को बेरिकेडिंग कर बंद कर दिया गया था। इसके पीछे बड़ी संख्या में श्रद्धालु खड़े होकर भगवान महाकाल की सवारी निकलने का इंतजार करते रहे। छतों से भी श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाने के लिए खड़े दिखाई दिए।

मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने और यातायात चौकी के सामने जबरदस्त बेरिकेडिंग कर रखी गई थी। यहां पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था। कुल मिलाकर जबरदस्त नाकेबंदी की गई थी।

वीआईपी जूते चप्पल के लिए होते रहे परेशान

सवारी निकलने से पूर्व दर्शन कर चुके वीआईपी श्रद्धालु निर्गम गेट से निकलकर हरसिद्धि मंदिर की ओर जा रहे थे। लेकिन उनके जूते चप्पल बड़ा गणेश मंदिर के सामने रखे हुए थे। लिहाजा काफी देर तक वह बेरिकेड्स के अंदर खड़े रहे। उनको पुलिस ने जूते चप्पल लेने के लिए अंदर नहीं आने दिया। बाद में मंदिर कर्मचारियों ने उनके नंबर लेकर जूते चप्पल आम बेरिकेडिंग में खड़े श्रद्धालुओं तक पहुंचाए।

आम और वीआईपी श्रद्धालुओं का प्रवेश रोका

भगवान महाकाल की सवारी मंदिर परिसर से होकर ही निकाली जाना थी। लिहाजा 3 बजे मंदिर परिसर को बंद कर दिया गया था। आम श्रद्धालुओं का प्रवेश भी रोक दिया गया था। चुनिंदा श्रद्धालु ही गणपति मंडपम में पहुंच पाए थे। वहीं वीआईपी और शीघ्र दर्शन टिकटधारियों का प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। मंदिर परिसर तक पहुंचने वाले 5 नंबर गेट को भी बंद कर दिया गया था। सवारी निकल जाने के बाद करीब 4.15 बजे के करीब आम श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू कर दिया गया था। लेकिन वीआईपी और शीघ्र दर्शन टिकटधारियों का प्रवेश सवारी आने तक प्रतिबंधित ही था।

सवारी मार्ग पर गिरी पेड़ की बड़ी टहनी

भगवान महाकाल की सवारी रामघाट पर पहुंच चुकी थी। इसी दौरान महाकाल प्रवचन हॉल के सामने लगा हुए पेड़ की बड़ी और मोटी टहनी भरभरा कर सवारी मार्ग पर गिर गई। यदि पालकी निकलने के दौरान टहनी गिरती तो कोई न कोई तो अवश्य ही चोटिल हो जाता। हालांकि समय रहते मंदिर कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों ने वहां से सवारी आने से पहले इसको हटा लिया था।

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