दत्त अखाड़ा घाट पर सुबह 11 बजे से आरंभ होगा धरना
उज्जैन। मोक्षदायिनी मां शिप्रा को स्वच्छ, निर्मल व प्रदूषण मुक्त करने के लिए गुरूवार 9 दिसंबर 2021 से उज्जैन का संत समाज आंदोलन की शुरूआत करेगा। गुरूवार सुबह 11 बजे से दत्त अखाड़ा घाट पर धरना प्रदर्शन से चरणबद्ध आंदोलन की शुरूआत होगी। उज्जैन के समस्त संतो ने सभी सामाजिक, धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में अपनी सहभागिता निभाएं।
बुधवार को षट्दर्शन साधु समाज संभागीय परिषद उज्जैन के सदस्यों की एक बैठक दत्त अखाड़ा पर आयोजित की गई। इस बैठक में शिप्रा शुद्धीकरण की ठोस कार्ययोजना लागू कराने के उद्देश्य से चरणबद्ध आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में गुरूवार 9 दिसंबर से दत्त अखाड़ा घाट पर धरना प्रदर्शन की शुरूआत की जाएगी। सभी प्रमुख 13 अखाड़ो से संबद्ध बैठक, मठ, मंदिरों के महंत- संत क्रमवार यहां धरना देंगे।
दत्त अखाड़े के महंत पीर श्री सुंदरपुरी जी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में प्रमुख रूप से महंत डा. रामेश्वर दास जगदीश मंदिर गऊघाट, महंत पीर श्री रामनाथ जी महाराज भर्तहरी गुफा, महंत श्री भगवानदास जी हनुमत आश्रम गदा पुलिया, महंत श्री कृष्णागिरी जी महाराज हरियाणा आश्रम, महंत श्री बलरामदास जी शीतला माता गौशाला, महामंडलेश्वर स्वामी श्री ज्ञानदास जी निर्मोही दादूराम आश्रम, महंत श्री सेवानंद गिरी जी महाराज पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, महंत श्री आनंदपुरी जी महाराज मां कामाख्या धाम, महंत श्री प्रणवानंद जी सिद्ध आश्रम, महंत श्री देवगिरी जी महाराज जूना अखाड़ा नीलगंगा, महंत श्री देवपुरी जी महाराज रणजीत हनुमान, महंत श्री हरिहरदास जी रसिक खेड़ापति हनुमान मंदिर, महंत श्री गजानंद सरस्वति जी दंडी आश्रम, महंत श्री विद्याभारती जी, महंत श्री अनुपम रामस्नेही जी बड़ा रामद्वारा सहित अन्य संत-महंत उपस्थित थे।
बैठक में पारित हुए प्रस्ताव
1- त्रिवेणी से कालियादेह महल तक शिप्रा नदी में कोई भी दूषित जलस्त्रोत नहीं मिले।
2- स्वच्छता में लगातार 5 बार देश में नंबर-1 का तमगा हांसिल करने वाले इंदौर का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिलने से तत्काल रोका जाए। ओपन नहर के माध्यम से इसे शिप्रा जल में मिलने से रोका जाए। इंदौर का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोकने के स्थाई इंतजाम किए जाए। वास्तव में उज्जैन और शिप्रा जल को दूषित करने के लिए इंदौर नगर निगम इस सम्मान के योग्य ही नहीं है।
3- शहर के समस्त नालों का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोका जाए ताकि शिप्रा जल आचमन व स्नान योग्य हो सके।
4- पवित्र नगरी के समस्त धार्मिक क्षेत्र में मांस, मदिरा, अंडे व अन्य निषेध वस्तुओं का विक्रय तत्काल रोका जाए।
5- देवास जिले से शिप्रा जल में मिलने वाले जहरीले और प्रदूषित पानी को शिप्रा जल में मिलने से रोका जाए।
6- उज्जैन के समस्त पुजारी, पंडे, पुरोहितों की संस्थाओं, धार्मिक व सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों, मीडिया संस्थानों से आव्हान किया जाए कि वे शिप्रा के लिए संतो की अगुवाई वाले चरणबद्ध आंदोलन में अपनी सहभागिता निभाए।
7- चरणबद्ध आंदोलन के तहत गुरूवार से दत्त अखाड़ा घाट पर धरना प्रदर्शन की शुरूआत की जाए, इसके बाद आंदोलन को अगले पड़ाव तक ले जाया जाए।
इनका कहना
दुर्भाग्य की बात है कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की गंदगी देश के सबसे पवित्र शहर उज्जैन और सबसे श्रेष्ठ नदी शिप्रा के लिए अभिश्रॉप बन गई है। करोड़ो रूपए खर्च हो जाने के बाद भी इंदौर, देवास और उज्जैन के नालों का पानी शिप्रा नदी में मिलना बंद नहीं होने से उज्जैन का संत समाज आक्रोशित है। बुधवार दिनांक 08 दिसंबर 2021 को उज्जैन के समस्त संत महत्वपूर्ण बैठक कर शिप्रा की निर्मलता और पवित्रता बनाए रखने के लिए आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे। -महंत डॉ. रामेश्वर दास