झाबुआ, अग्निपथ। जिले के राणापुर के ग्राम पाडलवा में एक परिवार को प्रलोभन देकर अवैध रूप से धर्मांतरण करवाने के मामले आरोपी चर्च के पादरी, उसकी पत्नी तथा अन्य चार लोगों की जमानत अर्जी जिला न्यायालय ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए यह फैसला दिया।
गौरतलब है कि 5 दिसंबर को मोगा पिता हुकमा वसुनिया (70 वर्ष) निवासी पाडलवा ने पुलिस थाना राणापुर में ग्राम पाडलवा में चर्च के पादरी रमेश वसुनिया, उसकी पत्नी कमतू वसुनिया तथा अन्य अदिया वसुनिया, रमा डामोर, साझू पति झीतरा, श्यामा वसुनिया आदि के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी।
जिसमें बताया गया कि उन्हें पादरी ने अपने घर पर बनाई चर्च में बुलवाया और ईसाई धर्म अपनाने पर हर महीने 1000 रुपये, मोटरसाइकिल और मुफ्त इलाज करने का प्रलोभन देते हुए कथित पवित्र जल का छिडक़ाव किया।
जिस पर फरियादी मोगा वसुनिया ने आपत्ति ली। पुलिस ने तत्काल आरोपियों की गिरफ्तार कर मामला जिला न्यायालय ने प्रस्तुत किया गया।
इस बीच 8 दिसंबर को आरोपियों की ओर से जमानत के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद अब्दुल अबरार के सम्मुख अर्जी लगाई। न्यायाधीश ने आरोपियों के कृत्य को गंभीर अपराध मानते हुए और पुन: धर्मांतरण की गतिविधियां संचालित करने की संभावना को ध्यान रखते हुए सभी आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए। फरियादी मोगा वसुनिया की ओर से प्रकरण की पैरवी युवा अभिभाषक नरेंद्रसिंह सोलंकी द्वारा की जा रही है।
विहिप ने किया स्वागत
मामले में विश्व हिंदू परिषद ने जमानत नामंजूर करने के कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। विहिप (बजरंगदल) के आदिवासी समाज सुधारक समिति के जिला संरक्षक आजाद प्रेमसिंह ने कहा कि न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। यदि उक्त आरोपियों की जमानत हो जाती, तो उनके हौंसले बुलंद होने से वे फिर से अवैध धर्मांतरण एवं अवैधानिक गतिविधियां संचालित करने लग जाते।