उज्जैन परस्पर सहकारी बैंक के चुनाव का रास्ता साफ 

हाईकोर्ट ने दिए 10 दिन में चुनाव अधिकारी की नियुक्ति के आदेश

पांच माह से बैंक की फाइनेंस गतिविधियां बंद होने से बैंक को नुकसान : चंदेल

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन परस्पर सहकारी बैंक के बहुचर्चित प्रकरण में उच्च न्यायालय के ताजा फैसले से फिर एक नया मोड़ आ गया है। इस निर्णय से शीघ्र चुनाव का रास्ता साफ हो गया। पूर्व संचालक मंडल ने इसे न्याय की जीत बताया है।

परस्पर सहकारी बैंक शहर की पुरानी नगरीय सहकारी बैंक है, जिसका एक गौरवमयी इतिहास है। शहर के लगभग 22 हजार सदस्य इससे जुड़े हैं। अधिकांश गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति इस बैंक के माध्यम से करते हैं। प्रति 5 वर्षों में इसके चुनाव प्रजातांत्रिक पद्धति से होकर संचालक मंडल का गठन होता है। 30 सितंबर 2021 को पुराने संचालक मंडल का कार्यकाल पूर्ण हो चुका था। सहकारिता विधान के अनुसार निर्धारित तिथि के पूर्व निर्वाचन होकर नये संचालक मंडल का गठन होना था, लेकिन निर्धारित अवधि में निर्वाचन अधिकारी के आदेश प्राप्त न होने से निर्वाचन न हो सके।

संचालक मंडल ने इस सम्बन्ध में अधिकारियों से लेकर सहकारिता मन्त्री, मुख्यमन्त्री व प्रधानमन्त्री तक शिकायत दर्ज करायी लेकिन उनकी कोई सुनवाई न होने पर बैंक की पूर्व अध्यक्ष शशि चन्देल द्वारा उच्च न्यायालय में विधान अनुसार निर्वाचन किये जाने के आदेश जारी करने हेतु रिट पिटीशन दायर की गयी।

याचिका पर सर्वप्रथम न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को 17 सितम्बर 2021 को निर्णय दिनांक से एक माह के अन्दर बैंक के निर्वाचन कराये जाने का आदेश दिया। निर्धारित अवधि तक उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध न्यायालय की मानहानि संबंधित कन्टेम्ट याचिका दायर की, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने 15 नवंबर 2021 को संबंधित अधिकारियों अजीत केसरी प्रमुख सचिव मप्र. शासन, नरेश पाल पंजीयक, मनीष श्रीवास्तव निर्वाचन प्राधिकारी, बीएल मकवाना संयुक्त पंजीयक, एनएस भाटी रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, कलेक्टर आशीष सिंह के विरूद्ध न्यायालय की अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी किया। लेकिन किसी भी अधिकारी का सन्तुष्टीकारक जवाब न मिलने पर न्यायमूर्ति विवेक रूशिया ने नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को आदेशित किया कि 27 जनवरी 2022 तक परस्पर बैंक के चुनाव हेतु चुनाव अधिकारी घोषित किया जाय अन्यथा न्यायालय स्वयं निर्वाचन अधिकारी घोषित कर देगा। इस हेतु अतिरिक्त महाधिवक्ता को बैंक के निर्वाचन करवाने की पात्रता रखने हेतु 3 नाम निर्धारित अवधि तक न्यायालय के समक्ष प्रेषित करने हेतु पाबन्द किया।

यह उल्लेखनीय है कि लगभग 3-5 माह से भी ज्यादा अवधि से संचालक मण्डल न रहने से बैंक में न केवल फाइनेन्स बन्द है एवं वसूली भी प्रभावित हो रही है। न्यायालय के उक्त फैसले से बैंक के पूर्व संचालक मंडल के साथ ही बैंक से जुड़े 22 हजार सदस्यों में हर्ष की लहर है। उन्होंने इसे न्याय प्रक्रिया की जीत निरूपित किया। प्रकरण की पैरवी इन्दौर के अभिभाषक प्रसन्ना भटनागर ने की। प्रेस कान्फ्रेंस के अवसर पर शशि चन्देल, अनिलसिंह चन्देल, बालकृष्ण उपाध्याय, निशा त्रिपाठी, गीता रामी, एसएन शर्मा, अजयशंकर जोशी, पुरुषोत्तम मिस्त्री, दिनेश प्रतापसिंह बैस, नरेन्द्रसिंह तोमर, हरदयालसिंह ठाकुर, राम सांखला, मोतीलाल निर्मल, मोतीलाल श्रीवास्तव, राजेश शास्त्री, हिमांशु जोशी उपस्थित थे।

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