चेतावनी का असर : शिप्रा स्नान को सीमित संख्या में आए श्रद्धालु

Shipra ramghat 010222

महाकालेश्वर मंदिर में भी यही रहा हाल

उज्जैन, अग्निपथ। जिला प्रशासन द्वारा तीज त्यौहार, स्नानादि के अवसर पर कोरोना संक्रमण का भय दिखाकर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। लेकिन अन्य भीड़ भरे आयोजनों पर नकेल कसने में जिला प्रशासन असफल सिद्ध होता है। जिला प्रशासन की चेतावनी का असर मौनी अमावस्या के स्नान पर देखा गया। जब कम संख्या में श्रद्धालु स्नान दान को पहुंचे।

दो दिन पूर्व जिला प्रशासन ने मकर संक्रांति स्नान पर्व की ही तरह मौनी अमावस्या के स्नान पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी थी और यहां तक की घाटों पर पुलिस बल तैनात करने को भी कह दिया गया था। मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद मंगलवार को मौनी अमावस्या पर शिप्रा घाटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रही। सुबह से ही इक्का-दुक्का श्रद्धालु घाटों पर स्नान करते नजर आए। हालांकि दोपहर में संख्या थोड़ी बढ़ी थी। लेकिन इतनी अधिक भी नहीं थी कि जिससे कोरोना संक्रमण फैलने में मदद मिलती। जिला प्रशासन की चेतावनी काम आई और मौनी अमावस्या पर जिले सहित आसपास के अन्य शहरों से स्नान दान को आने वाले श्रद्धालु नहीं आए।

पुलिस ने भी नहीं रोका-टोका

रामघाट पर तो इतनी कम संख्या में श्रद्धालु स्नान को पहुंचे थे कि वहां पर मौजूद पुलिस ने भी उनको नहीं रोका। ब्राह्ममण समाज द्वारा किए गए विरोध को देखते हुए अघोषित रूप से श्रद्धालुओं को स्नान करने दिया गया। आम दिनों की भांति स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की ही तरह मौनी अमावस्या पर नजारा दिखाई दिया।

पंडे पुजारियों में आक्रोश

श्रद्धालुओं की कम संख्या को देखते हुए घाटों के पंडो में आक्रोश पनपा हुआ था। उनका कहना था कि जिला प्रशासन ने 2 दिन पूर्व ही इस तरह के प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर श्रद्धालुओं को शिप्रा स्नान करने आने से रोक दिया। जिसके चलते उनकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई है। उन्होंने राजनीतिक रैलियों और अन्य स्थानों पर जुटने वाली भीड़ का भी हवाला दिया और कहा कि इस पर तो जिला प्रशासन प्रतिबंध नहीं लगाता है लेकिन तीज त्यौहार के अवसर पर अवश्य ही जिला प्रशासन की नींद खुल जाती है।

पितरों के निमित्त कर्मकांड

हालांकि श्रद्धालुओं की संख्या अवश्य ही शिप्रा के घाटों पर कम रही लेकिन पिंडदान तर्पण सहित अन्य पितरों के निमित्त किए जाने वाले कर्मकांड पंडों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में कराते हुए नजर आए। इसी तरह सिद्धवट और गया कोठा पर भी श्रद्धालुओं की संख्या कम देखी गई।

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