सपना …
शीर्षक पढक़र यह अंदाजा हमारे पाठक नहीं लगाये। यह किसी लडक़ी नाम है और हम उसके किसी प्यार- व्यार की बात कर रहे है। यहां सपना से आशय है। ड्रीम्स- ख्वाब। जो कि हर इंसान देखता है। मगर यह सपना देखना कि … अब आगामी सिहंस्थ 2028 तक यहीं पदस्थ रहूंगा। ऐसा सपना देखना उस कहावत की याद दिलाता है। जिसे मुहावरे की भाषा में … मुंगेरीलाल के हसीन सपने… बोला जाता है। बाबा महाकाल के दरबार में इन दिनों इस हसीन सपने की चर्चा सबकी जुबां पर है। सपना देखने वाले अपने फूलपेंटधारी है। अब देखना यह है कि उनका यह हसीन सपना पूरा होता है या बीच में ही टूटता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अंधेरा …
चिराग तले हमेशा अंधेरा होता है। यह एक कटू सत्य है। तभी तो अपने चक्रम के गलियारों में यह कहावत सुनाई दे रही है। जिसमें इशारा एक ऐसे अधिकारी की तरफ है। जिसको 1-2-3 नहीं बल्कि 8 विभागों का प्रभारी बना रखा है। अधिकारी की विशेष योग्यता केवल यह है। वह चापलूसी कला में विशेष योग्यता रखते है। इसके अलावा फूलपेंट के भी शौकीन है। तभी तो अपने विकास पुरूष मेहरबान है। 8 विभागों का प्रभारी बना रखा है। कामकाज कुछ हो नहीं रहा। प्रदेश भर में थू-थू हो रही है। लेकिन अपने विकास पुरूष को कोई फर्क नहीं पड़ता। वह चिराग वाली कहावत से वाकिफ है। इसलिए चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
निजी …
अंदरखाने की खबर है। बाबा के दरबार का संचालन जल्दी ही सरकारी हाथों से मुक्त हो सकता है। सीधी भाषा में साफ-साफ कहा जाये तो सरकारी मशीनरी का हस्तक्षेप बिलकुल बंद हो जायेंगा। ऐसी इच्छा उन फूलपेंटधारियों की है। जिन्होंने फिलहाल मंदिर पर अघोषित कब्जा कर रखा है। उच्चस्तर पर फूलपेंटधारी इस विषय पर गंभीर विचार कर रहे है। एक नया ट्रस्ट बनाकर, मंदिर की पूरी व्यवस्था अपने हाथों मे ले ली जाये। मगर इसमें रजामंदी उन परम पूज्य की जरूरी है। जो इस महीने आने वाले है। अगर उन्होंने हरी झंडी दे दी, तो फिर मंदिर ट्रस्ट के हवाले होगा। देखना यह है कि परम पूज्य क्या निर्णय लेते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मुसीबत …
अपने पपेट जी मुसीबत में है। बड़ी मुसीबत में। ठेकेदारों के कारण। स्वच्छता को लेकर कोई टेंडर डालने को राजी नहीं है। सब एकजुट हो गये है। स्वच्छता मिशन तो दूर की बात है। अपने पपेट जी के बंगले का एक निर्माण कार्य अटक गया है। कोई भी ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है। इधर शिवाजी भवन में सुगबुगाहट है। पपेट जी कोई भी फाइल ओके नहीं कर रहे है। सारे काम डंप पड़े है। नतीजा … यह चर्चा शुरू हो गई है। अपने पपेट जी अब बाबा की नगरी को अलविदा कहने के मूड में है। दबी जुबान में यह बोला जा रहा है। जल्दी ही सूची जारी होगी और पपेट जी की रवानगी। देखना यह है कि मुसीबत से बचकर निकलने में माहिर, अपने पपेट जी की रवानगी होती है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बदलाव …
सर्वविदित है कि … फूलपेंटधारियों के परम पूज्य का आगमन हो रहा है। इस महीने के अंतिम सप्ताह से पहले। 3 दिवसीय कार्यक्रम है। जो कि भरतपुरी क्षेत्र स्थित एक भव्य मंदिर में होने वाला है। यहीं पर थोड़ा बदलाव हुआ है। पहले परम पूज्य कार्यक्रम स्थल पर ही रात्रि विश्राम करने वाले थे। मगर अब वह मालीपुरा क्षेत्र स्थित फूलपेंट वालो के भवन में विश्राम करेंगे। ऐसी चर्चा फूलपेंट वाले ही कर रहे है। मगर, हमको इससे क्या लेना-देना। हमारा तो काम है, बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहना।
नोटिस …
तो आखिरकार अपने 7 जिलो के मुखिया ने नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस एक वरिष्ठ अधिकारी को जारी किया है। जो इन दिनों अपनी विवादित कार्यशैली के चलते सुर्खियों में है। कोठी के गलियारों में तो यही चर्चा सुनाई दे रही है। जारी नोटिस, संभवत: आज वरिष्ठ अधिकारी को मिल सकता है। अब नोटिस की बात सही है या गलत? इसका फैसला तो सोमवार की दोपहर तक हो जायेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
इंतजार …
वर्दी वालो को इंतजार है। जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई का। जांच अभी-अभी स्थानांतरित हुए अधिकारी द्वारा की गई थी। जांच के दायरे में एक राजपत्रित अधिकारी है। जिनको पदक भी मिल चुका है। उनकी शिकायत हुई थी। फर्जी दस्तावेजों को लेकर। जांच में यह बात सही निकली है। जांच अधिकारी ने राजपत्रित अधिकारी को दोषी साबित कर दिया है। रिपोर्ट अपने कप्तान तब पहुंच गई है। रिपोर्ट देकर और बंगला खाली करके अधिकारी जा चुके है। अब जांच रिपोर्ट अपने कप्तान के पास लंबित है। वर्दी वालो में चर्चा है कि राजपत्रित अधिकारी पर गाज गिरना तय है। देखना यह है कि अपने कप्तान आखिर कब, वर्दी वालो का इंतजार खत्म करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
फोटो कॉपी …
हमारे पाठकों को याद होगा। हमने इसी कालम में लिखा था। गुलाबी शीर्षक से। जिसमें इशारा था। बाबा के दर्शन हेतु जारी विशेष पास का। जो कि गुलाबी रंग के है। इनको विशेष तौर पर बनाया गया है। केवल और केवल फूलपेंटवालों के लिए। यह विशेष गुलाबी पास संगठन की एक युवा संस्था को भी दिये गये थे। जिसके नाम के अंत में परिषद शब्द जुड़ा है। ऋषि नगर क्षेत्र में इसका कार्यालय है। वहां पर इस विशेष पास की रंगीन फोटोकापी हो गई। जिसका खुलासा भी जल्दी हो गया। तब अपने टॉप फूलपेंटधारी ने बुलाकर फटकार लगाई। फोटोकापी वाले सभी गुलाबी पास, वापस जमा करवाये गये। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। सच- झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
तस्वीर भी बोलती है…
वैसे तो कमलप्रेमी संगठन को कैडर- बेस बोला जाता है। जहां पर संगठन पदाधिकारी को इज्जत मिलती है। लेकिन इन दिनों सत्ता के आगे संगठन नतमस्तक है। तभी तो सत्ता कुर्सी पर विराजमान है और संगठन खड़ा है। लेकिन हमको तो चुप ही रहना है।