उज्जैन, अग्निपथ। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शिवरात्रि पर उज्जैन में दीपोत्सव कराना केवल आंकड़ों की जादूगरी है। असली काम तो मुख्यमंत्री को उज्जैन को आध्यात्मिक राजधानी बनाने के लिए करना चाहिए परंतु यह कार्य सरकार नहीं कर रही है।
उक्त बात कमलमुनि ने प्रेस को जारी बयान के माध्यम से कही। कमलमुनि ने कहा कि जब मैं महाराष्ट्र राज्य में विहार पर था तब हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से आग्रह किया था कि उज्जैन को पवित्र नगरी का दर्जा देकर गजट नोटिफिकेशन जारी करे और पवित्र नगरी क्षेत्र की सीमा बढ़ायी जाये तथा उज्जैन को आध्यात्मिक राजधानी बनाया जाए । मुख्यमंत्री ने यह बात स्वीकार भी की थी लेकिन आज तक आध्यात्मिक राजधानी की तरफ कोई कदम नहीं बड़ा है बल्कि उज्जैन को पवित्र नगरी के लिए एक संत प्रतितराम राम स्नेही ने अपने प्राण तक त्याग दिए है फिर भी मुख्यमंत्री की इच्छाशक्ति नहीं जाग रही है।
स्वर्णिम भारत मंच के अध्यक्ष दिनेश श्रीवास्तव ने राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश के वक्तव्य पर कहा कि महाराज साहब कुछ वर्ष पूर्व उज्जैन पद यात्रा करते हुए उन्होंने आये थे और क्षिप्रा तट पर आन्दोलन करने बैठ गए थे तब तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोंडवे ने कमलमुनि को आश्वासन दिया था कि महाकाल मंदिर परिक्षेत्र से कत्लखाने ,मांस मदिरा की दुकानें अविलम्ब हटा दी जाएगी, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण प्रशासन उनकी मांग पूरी नहीं कर पाया।
असली दीपक तो पवित्र नगरी घोषित होने पर लगेंगे
शिवरात्रि पर सरकार भले ही दीपोत्सव करके रिकार्ड बनाने ले परन्तु असली दीपक तो पवित्र नगरी की सीमा बढ़ाने के बाद ही लगेंगे। फिलहाल पवित्र नगरी की सीमा महाकाल मंदिर से 200 मीटर ही है जबकि स्वर्णिम भारत मंच इसे 2 किमी करने की मांग कर रहा है पूर्व में भी ब्रह्मलीन संत प्रतिराम रामस्नेही आंदोलन कर चुके है जिनकी आत्मा को तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक सरकार उज्जैन को पूर्ण पवित्र नगरी का दर्जा देकर गजट नोटिफिकेशन जारी नही कर देती है।