देवासरोड से 3 पकड़ाए, बाकी के 3 की तलाश में जुटी पुलिस
उज्जैन, अग्निपथ। बाल संप्रेक्षण गृह में बंद 6 बाल कैदी शुक्रवार-शनिवार रात योजनाबद्ध तरीके से भाग निकले। फरार होने से पहले उन्होने चौकीदार और गार्ड की आंखों में मिर्ची झोंक दोनों को कमरे में बंद कर दिया था। बाल कैदियों पर संगीन आरोप है।
मालनवासा स्थित संप्रेक्षण गृह में किशोर न्यायालय के आदेश पर पिछले कुछ महिनों में देवास के 6 बाल कैदियों को लाया गया था। रात 11 बजे बाल कैदियों ने भागने की योजना बनाई और लघुशंका के लिये सुरक्षागार्ड दिनेश धान को बुलाया। गार्ड ने उन्होंने बाहर निकाला तो उसकी आंखो में मिर्ची झोंक दी। चौकीदार बाल कैदियों को पकडऩे आया तो उसकी आंख में भी मिर्ची डाल चाबी छीनी और मारपीट करते हुए दोनों को कमरे में बंद कर दिया। उसके बाद बाल कैदियों ने मेन गेट का ताला खोला और भाग निकले।
चौकीदार ने आंखे साफ करने के बाद मामले की जानकारी संप्रेक्षण गृह के अधिकारियों को दी और पुलिस को घटना से अवगत कराया। नागझिरी टीआई विक्रम इवने टीम के साथ भागे बाल कैदियों की जानकारी जुटाने पहुंच गये। बाल कैदी देवास जिले के रहने वाले थे, आशंका जताई कि देवास की ओर गये होगें। रात में सर्चिंग शुरु की। किशोर न्यायालय बोर्ड के कर्मचारी भी 6 बाल कैदियों की तलाश में निकल पड़े।
वहीं मामले में शनिवार को पुलिस ने चौकीदार शैलेन्द्र पाल की शिकायत पर मामले में बाल कैदियों के खिलाफ धारा 353, 342, 332, 34 में प्रकरण दर्ज कर लिया।
देवासरोड से पकड़ाए 3 बाल कैदी
पुलिस किशोर न्यायालय बोर्ड के सदस्यों के साथ रात में सर्चिंग पर निकल पड़े थे। इस बीच देवास रोड ग्राम दताना के समीप अंधेरे में भागे रहे 3 बाल कैदियों को पकड़ लिया गया। थाने लाकर उनसे तीन अन्य साथियों की जानकारी जुटाई और मिर्ची के संबंध में पूछताछ की।
बाल कैदियों ने मिर्ची दिन में ही रसोई घर से चालाकी दिखाकर उठा ली थी। उनके साथ भागे साथी भी देवास की ओर गये है। अल सुबह पुलिस की टीम देवास रवाना हो गई। शनिवार देर शाम तक तीनों का कोई सुराग नहीं लग पाया था। उनके परिजनों से संपर्क कर रिश्तेदारों और ठिकानों पर तलाश की जा रही है।
पूर्व में भाग चुके हैं बाल कैदी
मालनवासा स्थित संप्रेक्षण गृह में सुरक्षा के पु ता इंतजाम नहीं है। पिछले वर्ष अप्रैल में भी 2 बाल कैदी देवास और हरियाणा के भाग निकले थे। रात में चौकीदार और सुरक्षा गार्ड के अलावा कोई मौजूद नहीं रहता है। संप्रेक्षण गृह की दिवारे भी काफी छोट़ी है। जिसके चलते शातिर बाल कैदी यहां से भागने का प्रयास करते है।