कभी सोवियत संघ के अजीज मित्र रहे यूक्रेन और रूस के बीच आखिरकार महायुद्ध शुरू हो ही गया। सन् 1991 में सोवियत संघ से अलग हुए यूक्रेन की आबादी वर्ष 2020 में 4.41 करोड़ थी। 603.628 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह देश यूरोप की सर्वाधिक आबादी वाला आठवां देश है।
जिसके दक्षिण में रोमानिया और मोल्दोवर है, पश्चिम में पौलेंड, स्लोवाक्यिा और हेगस है, उत्तर में यह देश बेलारूस के साथ सीमा साझा करता है। इसके पास आजीव सागर तथा काला सागर नाम के दो समुद्री तट भी हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से यूके्रन यूरोप का सबसे बड़ा और गंभीर भ्रष्टाचार से पीडि़त यूरोप का सबसे गरीब देश भी है।
अपनी उपजाऊ भूमि के कारण दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों में से यह एक है। यूक्रेन की 4.41 करोड़ जनसंख्या में से 87.3 प्रतिशत आबादी ईसाई धर्म की है शेष 11 प्रतिशत आबादी अन्य धर्मों के लोगों की है। इस देश का इतिहास लगभग तेरह सौ वर्ष पुराना है सन् 1991 के पूर्व तक यह सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था सोवियत संघ के विघटन के बाद 24 अगस्त 1991 को यह स्वतंत्र घोषित हुआ। एक ही इतिहास और आध्यात्मिक विरासत साझा करने वाले दोनों देश जब अलग हुए तक ऐसा लगा जैसे सोवियत संघ का सर काट दिया गया हो। यूक्रेन के अलग होने की टीस रूस के मन से कभी निकल नहीं सकी।
वर्तमान राष्ट्रपति पुतिन रूस के विघटन को सबसे बड़ी त्रासदी महसूस कर रहे थे।
रूस और यूक्रेन के बीच विवादों की शुरुआत तो लंबे समय ही उसके अलग होने के बाद ही हो गयी थी। नाटो संगठन (जिसके 30 सदस्य हैं) का झुकाव यूक्रेन की ओर अधिक हो रहा था जो रूस को पसंद नहीं था रूस ने कई बार नाटो देशों के समक्ष इस बात पर अपनी आपत्ति भी दर्ज करायी थी।
यह विवाद सन् 2013 में और गहरा गया जब रूस समर्थित यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के खिलाफ विद्रोह हो गया और उन्हें 2014 में देश छोडक़र भागना पड़ा और यूक्रेन में रूस विरोधी मानसिकता के जेलेंस्की नये राष्ट्रपति बन गये इससे नाराज होकर रूस ने दक्षिण यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और यूक्रेन के अलगाववादियों को समर्थन देकर पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2014 के बाद से ही रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था।
2015 में फ्रांस और जर्मनी ने मध्यस्थता कर बेलारूस की राजधानी मिन्सक में दोनों देशों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया परंतु यूक्रेन की नाटो देश से गहराती मित्रता रूस के लिये चिंता का विषय था साथ ही नाटो की सदस्यता के लिये भी यूक्रेन प्रयासरत था।
यूक्रेन रूस के लिये इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि यूरोप की जरूरत की 1/३ प्राकृतिक गैस रूस द्वारा ही प्रदाय की जाती है और इस गैस की पाइप लाइन यूक्रेन से ही होकर गुजरती है। रूस यूनियन का खर्च भी बिना यूक्रेन के संभव नहीं हो पा रहा था। खैर अब यदि युद्ध में नाटो देश भी कूद जाते हैं तो दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध के साक्षी बनने के लिये तैयार रहना होगा। हमारे देश भारत के लिये रूस ने हमेशा मित्र की भूमिका निभायी है।
देश के सुरक्षा उपकरणों की 60 से 70 प्रतिशत आपूर्ति वहीं से होती है। भारत के लिये चिंता की बात यह है कि देश के 18 से 20 हजार छात्र जो मेडिकल पढ़ायी के लिये यूक्रेन गये थे वह युद्ध के बीच वहीं फंस गये हैं। शायद हमारे देश को युद्ध प्रारंभ होने की गुप्त सूचना ना मिल पाने के कारण छात्रों को लाने गये हवाई जहाजों को बैरंग लौटना पड़ा जो दुर्भाग्यपूर्ण है। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुआ युद्ध किस निर्णायक मोड़ पर जाकर खत्म होगा यह भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगा।