हम चुप रहेंगे (14 मार्च 2022)

पूजा …

अपने पपेट जी की कुंडली में शायद कोई ऐसा ग्रह बैठ गया है। जो उनको लगातार परेशान कर रहा है। तभी तो उनके मुंह पर ही मातहत बाबू ने बोल दिया। खुद बीमार पड़े थे। तब क्या खुद का वेतन कटवाया था। इसके पहले भी सार्वजनिक तौर पर पपेट जी की लू उतर चुकी है। इधर शनिवार की बैठक में सभी माननीयों ने भी उनको आड़े हाथों लिया। सवाल दाग दिये। हमको विश्वास में क्यों नहीं लेते। चौराहे के सौंदर्यीकरण देखेंगे। जिसके बाद ही शिवाजी भवन से स्मार्ट कार्यालय तक पूजा की चर्चा है। दबी जुबान में मातहत बोल रहे हंै। अपने पपेट जी को कुंडली दिखवाकर कोई पूजा करवानी चाहिये। ताकि उनका मान-सम्मान बरकरार रहे। देखना यह है कि मातहतों की बात पर क्या पपेट जी पूजा करवाते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

मना किया …

अभी-अभी एक कैदी की मौत हुई थी। नियमानुसार पीएम के लिए लाया गया। इसके पहले परिजनों से शिनाख्ती करवानी थी। न्याय मंदिर से माननीया का आगमन हुआ था। जबकि राजस्व से एक महिला अधिकारी का। राजस्व अधिकारी को निर्देश दिये गये। शिनाख्ती करवाये। परिजनों को बुलवाकर। मगर राजस्व अधिकारी ने साफ इंकार कर दिया। उनका कहना था कि मुझे ऊपर से आदेश है। यह काम नहीं करना है। जिसको लेकर 1 घंटे तक पीएम रूका रहा। आखिरकार न्याय मंदिर की माननीया ने कागजों पर आदेश का उल्लंघन निर्देश दर्ज करवाया और फिर खुद शिनाख्ती करवाई। अब सवाल यह है कि आखिर राजस्व अधिकारी को किस अधिकारी ने मना किया था। जिसको लेकर सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

फटकार …

वर्दी पहनकर ईमानदार बने रहना? मतलब सिस्टम से अलग होना है। इसीलिए दाल में नमक जैसा शिष्टाचार आम बात है। आम जनता भी इसे स्वीकार कर चुकी है। लेकिन जब डिमांड पेटियों में होने लगे। जैसे अभी-अभी 5 पेटी डिमांड की चर्चा सुर्खियों में है। तो फिर वर्दी पर सवाल खड़े होने लगते है। 5 पेटी मांगने वाली मैडम सुर्खियों में है। ताज्जुब की बात यह है कि महकमे में यह बात सभी को पता थी। मैडम … ज्यादा डिमांड वाली हैं। तभी तो कुछ दिन पहले ही अपने कप्तान ने तलब किया था। डिमांड वाली मैडम को। फटकार लगाई थी। उनकी शिष्टाचार वाली डिमांड को लेकर। तब भी अपनी डिमांड मैडम पर कोई असर नहीं हुआ। अगर अपने कप्तान की नसीहत डिमांड मैडम मान लेती, तो आज यह नौबत नहीं आती। ऐसी चर्चा वर्दीवाले दबी जुबान से कर रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दोष …

कमलप्रेमियों के राष्ट्रीय मुखिया अभी-अभी आये थे। उनके आगमन को लेकर सभी यह सोच रहे थे। जन्मदिन की खुशी में बाबा के दरबार में आये है। मगर पर्दे के पीछे का सच जन्मदिन नहीं, बल्कि एक दोष की पूजा थी। जो कि अंगारेश्वर पर ही होती है। इसी विशेष पूजा के लिए आगमन हुआ था। तभी तो अपने विकास पुरूष बिलकुल परछाई की तरह पीछे थे। उनके ही मार्गदर्शन में पूजा हुई। कमलप्रेमी तो यह भी बोल रहे है कि … पूजा की सलाह भी अपने विकास पुरूष ने दी थी। इसीलिए कमलप्रेमी अब दबी जुबान में सवाल कर रहे है। पूजा के बाद दोष दूर होगा या नहीं? अब कमलप्रेमियों के सवाल का जवाब तो हमारे पास है नहीं। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

अंतर …

अपने उम्मीद जी और पपेट जी में क्या अंतर है। यह सवाल कोठी से लेकर शिवाजी भवन तक उठ रहा है। सवाल उठाने वाले ही जवाब भी दे रहे है। उम्मीद जी अपने मातहतों को हमेशा बचाते है, जबकि पपेट जी मारते है। इशारा गोवर्धन सागर की तरफ है। जिसमें राजधानी तक हडक़ंप मचा था। रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग के मुखिया नाराज हो गये थे। नोटिस जारी कर दिये थे। मगर अपने उम्मीद जी ने न्याय मंदिर की शरण ली। सारे दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये। नतीजा … न्याय मंदिर ने टिप्पणी और निर्देश दे दिये। निर्देश यह कि … जांच रिपोर्ट पहले न्याय मंदिर में पेश की जाये। टिप्पणी यह कर दी कि …. ऐसे तो कोई राजस्व अधिकारी काम ही नहीं करेंगा। अब अगर उम्मीद जी और पपेट जी की कार्यशैली में, मातहतों को अंतर समझ में आ गया है। तो फिर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

फेल …

तो अपने आराधना प्रेमी की किस्मत वाकई खराब चल रही है। कल तक महामंत्री थे। अब नहीं है। सोचा… इसका फायदा उठाये। अपने नाम के आगे डॉक्टर की उपाधि से उनको काफी मोह है। उनके करीबी कहते है। डॉक्टर की उपाधि लेने वाले कमलप्रेमी, जल्दी से तरक्की करते हैं। कमलप्रेमी पार्टी में। इसीलिए अपने आराधना प्रेमी ने भी कोशिश की। मगर किस्मत से वह फेल हो गये। अब कमलप्रेमी चुटकी ले रहे हैं। जैसे हर चुनाव के पहले वह खुद का टिकिट पक्का कर लेते है और फेल हो जाते है। वैसा ही उपाधि वाली परीक्षा में उनके साथ हो गया। बेचारे … अपने आराधना प्रेमी फेल क्या हुए। कमलप्रेमी उनका मजाक बना रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

उदारता …

अपने उम्मीद जी उदारमना है। मीडिया के प्रति उनकी उदारता के कई किस्से हैं। खासकर बाबा के दरबार से जुड़े। उन्होंने दर्शन के लिए मीडिया को खुली छूट दी है। कोई रोक-टोक नहीं होती है। सुबह वाली आरती के लिए भी 20 की संख्या निर्धारित कर दी। मगर मीडिया की कुछ गंदी मछलिया इसका गलत फायदा उठा रही है। जेब गर्म करने का पुराना धंधा शुरू हो गया है। दर्शन के नाम पर भी वसूली हो रही है। बाबा महाकाल के दरबार में तो यही चर्चा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते हंै।

चिंता …

अपने वजनदार जी की एक आदत हमको पसंद है। वह अपने कार्यकर्ताओं की चिंता पालते है। अगर कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिले। तो वह सार्वजनिक मंच से नाराजगी दिखा देते है। जैसे रविवार को दिखा दी। अंगारेश्वर भूमिपूजन में। ग्रामीण इलाके का कार्यक्रम था। निर्माण एजेंसी ने ग्रामीण पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को बुलाया तक नहीं। नतीजा वजनदार जी ने निर्माण मंडल को चेतावनी दे डाली। यह तरीका सही नहीं है। आगे से ऐसा नहीं चलेगा। वजनदार जी इसके लिए साधूवाद के हकदार है। मगर स्टेडियम में चल रही प्रतियोगिता में आम जनता की चिंता नहीं करना? सवाल खड़े कर रही है। आम जनता साउंड के उच्च स्वर से परेशान है। शिकायत भी कर चुकी है। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। अब वजनदार जी की दोहरी नीति वाली चिंता पर हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

टेलेंट …

किसी शायर ने खूब कहा है। हर आदमी में एक दरिंदा जरूर है/ काबू में उसको रखिए… पागल को रोकिए। यह अशआर कलाकारों में टेलेंट खोजने वालो पर सटीक साबित हो रहा है। जिन्होंने अपने विकास पुरूष के नाम पर नारी शक्ति को धमकाया। अभद्रता तक करी। यह तक बोल दिया कि … तुम्हारी जगह कोई ओर होता तो थप्पड़ मार देता। जबकि शिवाजी भवन की दोनों महिलाकर्मी अपनी ड्यूटी ही कर रही थी। हालांकि बाद में प्रकरण भी दर्ज हो गया। मगर अनुत्तरित सवाल यह है कि … क्या मीठी भाषा बोलने वाले अपने विकास पुरूष ने इन दोनों कमलप्रेमियों को विशेष छूट दे रखी है। जो यह खुलेआम, उनके नाम पर नारी शक्ति से अभद्रता कर रहे है। अब सोचना अपने विकास पुरूष को है। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

– प्रशांत अंजाना

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