मांग: ऐसे आदेश निकालने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई करें मुख्यमंत्री
उज्जैन, अग्निपथ। वार्षिक मूल्यांकन के समय शिक्षकों को अधिक समय विद्यार्थियों के साथ रहना चाहिए। लेकिन शासकिय शिक्षक इन दिनों नित नए आदेशों के कारण गैर शैक्षणिक कार्य में लगे है।
यह आरोप आजाद अध्यापक शिक्षक संघ उज्जैन के जिला अध्यक्ष देवेन्द्र माहेश्वरी ने लगाते हुए कहा कि शिक्षक वार्षिक व्यय के बिल पास करवाने के लिए बीआरसी कार्यालय के चक्कर लगा ही रहे थे कि अचानक लाल फीताशाही अधिकारीयों ने एक और गैर शैक्षणिक आदेश जारी कर दिया जिसमें 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षरों के आधार नम्बर समग्र आईडी के लिये एकत्रित करना होंगे।
इसके लिए अब शिक्षक घरों व खेतों की खाक छान रहे हैं। शासकीय शिक्षक नित नए प्रयोगों की प्रयोगशाला बनकर रह गया है। इसके कारण शिक्षक विद्यार्थियों के साथ समय व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा में गुणवत्ता कहाँ से प्राप्त होगी। प्रौढ़ शिक्षा के नाम पर कई शिक्षक कार्य कर रहे हैं। किसी को समन्वयक बनाया दिया गया है तो कई शिक्षक सूचियाँ बनाने में एवं एप डाउनलोड कर डाटा इंट्री करने में व्यस्त हैं।
शाला प्रभारी से निरक्षर के रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने हेतु निरीक्षण का रंगीन फोटो एवं पंचायत के वार्ड सूची से 3 अंकों वाला सीरियल क्रमांक की पूर्व तैयारी कर के रखे। निरक्षरों के फार्म जो भरना है वह निरक्षर संख्या के मान से उपलब्ध कराया जाएं एवं मतदाता सूची भी यह सभी कार्य 2027 तक करना है।
जिला अध्यक्ष देवेन्द्र माहेश्वरी ने कहा कि शासकीय विद्यालय के शिक्षकों द्वारा कोरानाकाल में श्रेष्ठ पढ़ाई कराई गई थी। शासकीय स्कूलों की पढ़ाई व्यवस्था बन्द कराने में लगे हुए इसी विभाग के अधिकारी तभी नित नए गैर शैक्षणिक आदेश जारी कर रहे हैं। आपने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि पांच वर्षीय कार्य प्राइवेट स्तर पर करवाया जाना चाहिए।
पूर्व में भी 2016-17 में इस विषय में प्राइवेट स्तर पर सर्वे करवाया गया था। उसी तरह शिक्षकों को इस कार्य से मुक्त रखा जावे। साथ ही क्रमोन्नती, पदोन्नती आदेशों को अधिकारीयों ने रोके रखा है उसे भी शीघ्र जारी करे वरना सरकार को अध्यापकों एवं शिक्षकों के जनआक्रोश का सामना करना पड़ेगा।