भाजपा-कांग्रेस के अनुषांगिक संगठन पदाधिकारी भस्मारती परमिशन करने का बना रहे दबाव

आए दिन कर रहे हंगामा, रविवार को काउंटर छोडक़र भागे कर्मचारी

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती का क्रेज इतना बढ़ गया है कि अब इसको लेकर प्रतिदिन हंगामें हो रहे हैं। यह इसलिए हो रहा है कि इसका कोटा तय कर दिया गया है। ऐसे में भस्मारती की अतिरिक्त परमीशन करवाने के लिए भाजपा के अनुषांगिक संगठन के पदाधिकारी और कांग्रेस सहित अन्य रसूखदार काउंटर पर पहुंचकर हंगामा कर रहे हैं।

रविवार को भी यह सब पदाधिकारी प्रोटोकाल भस्मारती काउंटर पर शाम 5 बजे के बाद पहुंच गए थे। जिसके चलते कर्मचारियों को वहां से भागना पड़ा था। भस्मारती बनाने वाले कर्मचारी भी पदाधिकारियों की गुंडागर्दी से भयजदा हैं। उनको ऐसा लग रहा है कि आगामी दिनों में उनके साथ हाथापाई भी हो सकती है। हालांकि महाकाल मंदिर पुलिस चौकी पास में ही है, लेकिन इनके द्वारा भी कर्मचारियों को बचाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। मंदिर और जिला प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी मौन साधे बैठे हैं।

कोटा तय फिर भी परमीशन की मांग

मंदिर प्रशासन ने भाजपा के हर बड़े नेता का कोटा तय कर रखा है। साथ ही कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी यह सुविधा प्रदान की है। लेकिन भाजपा, उनके अनुषांगिक संगठन के पदाधकारी और कांग्रेस के अन्य छुटभैये नेता सीधे भस्मारती काउंटर पर पहुंचकर परमीशन बनाने की मांग कर हंगामा कर रहे हैं। जबकि उनको अपने बड़े नेता से परमीशन लेकर भस्मारती बनवाना चाहिए।

बुरी तरह लडख़ड़ाई व्यवस्था

पूर्व में जब कोटा तय नहीं किया गया था, तब इस तरह की परेशानी नहीं आती थी। कुछ माह पूर्व जिला प्रोटोकाल भस्मारती परमीशन कार्यालय हरिफाटक ओव्हर ब्रिज के नीचे स्थापित था। यहां पर सूनसान होने के बावजूद हंगामें आदि की घटनाएं घटित नहीं हुईं। लेकिन जब से मंदिर प्रशासन द्वारा कोटा तय किया गया है। तब से इस तरह के हंगामें होने लगे हैं। जिसके चलते प्रोटोकाल भस्मारती व्यवस्था बुरी तरह से लडख़ड़ा गई है।

कलेक्टर भी नहीं कर पा रहे हस्तक्षेप

आएदिन भस्मारती काउंटर पर हो रहे हंगामें की सूचना कलेक्टर आशीषसिंह के पास भी पहुंच रही है। लेकिन उनके हाथ में भी कुछ नहीं है। मंदिर प्रशासक द्वारा कोटा तय किया गया है। महाकाल मंदिर एक्ट के अनुसार मंदिर के हितों के बारे में निर्णय लेने का पूरा अधिकार मंदिर प्रशासक को है। ऐसे में कलेक्टर भी मामले में हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर सत्तापक्ष के अनुषांगिक संगठन और दूसरी पार्टी के नेताओं से बैर मोल लेना कोई नहीं चाहेगा। ऐसे में प्रतिदिन भस्मारती काउंटर पर नूराकुश्ती चल रही है।

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