अंगीठी भी जलाई, 4 दिन से सूर्य देव ने नहीं दिए दर्शन
उज्जैन, अग्निपथ। अरब सागर से उठे चक्रवात का असर उज्जैन शहर में देखने को मिल रहा है। शहर में दिन का तापमान गिरकर कम हो गया है। विगत 4 दिन से सुबह के समय कोहरा छाया हुआ है और सूर्य देवता ने भी दर्शन नहीं दिए हैं, ऐसे में मंदिरों के शहर उज्जैन में भगवान को ठंड से बचाने के जतन किए जा रहे हैं।
सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, सुदामा की प्रतिमा को गर्म कपड़े पहनाए गए हैं, साथ ही कोयले की अंगीठी भी जलाई गई हैं। अरब सागर से उठे चक्रवात का असर शहर में देखने को मिल रहा है। ठंड शुरू होने के साथ शहर में तापमान में कमी देखने को मिली है। मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर से उठे चक्रवात के मौसम बदल गया है। उज्जैन में मौसम में ठंडक का असर भगवान को भी हुआ है। मंदिरों की नगरी उज्जैन में देवालयों और मंदिरों की अपनी अलग और अनूठी परंपराए हैं। चक्रवात से 4 दिन से सुबह से शाम तक सूर्य देवता बादलों की ओट में छुपे रहे। अनूठी परपंरा में श्रीकृष्ण को भी ठंड से बचाने के लिए गर्म वस्त्र धारण कराने के साथ, गर्म तासीर का भोग लगाने और प्रतिदिन शाम को सिगड़ी जलाई जा रही है।
गर्म भोग का अर्पण
सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, सुदामा की प्रतिमा को गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं। भगवान को ठंड न लगे कोयले की अंगीठी भी जलाई जा रही है। महर्षि सान्दीपनि को कंबल ओढ़ाया गया। संध्याकाल में भगवान के समक्ष सिगड़ी भी जलाई गई है। भगवान को केसर युक्त गर्म दूध के साथ भोग भी गर्म अर्पण किया जाता है। महर्षि सांदीपनि आश्रम के पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि यह ्रक्रम शीत ऋतु की समाप्ति तक चलेगा। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार वर्षाकाल के अतिरिक्त होने वाली बारिश को मावठा कहा जाता है। आगामी दिनों में इसके और बरसने की संभावना है।
भगवान महाकाल का गर्म जल से स्नान
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से भगवान महाकाल का गर्म जल से स्नान शुरू कर दिया गया था। इसके साथ ही शीतकाल को देखते हुए मंदिर में की जाने वाली पांच समय की आरती के समय में भी परिवर्तन हुआ था। प्रतिवर्ष इस तरह से भगवान महाकाल को गर्म रखने के उपाय किए जाते हैं।