देवास, अग्निपथ। आजादी के बाद हमने भौतिक विकास तो बहुत किया, किंतु संस्कारों का पतन भी किया है। नेताओं ने देश की संस्कृति बचाने की बजाय अपनी कुर्सी को बचाई है। उसी ईमानदार नेता को चुनो जो कुर्सी की नहीं देश की भक्ति करें और हमारे सनातन संस्कार और संस्कृति को मिटने नहीं दे।
यह विचार कैलादेवी मंदिर में हो रही भागवत कथा के तीसरे दिवस भागवताचार्य पं. देवकीनंदन ठाकुर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल बंद कर मदरसे भी हटाएं जाएं। देश में कक्षा एक से बारहवीं तक सरकारी स्कूल संचालित हो। जिसमें पाठ्यक्रम के साथ रामायण-गीता पढ़ाई अनिवार्य की जाए और सभी नेता सरकारी अफसर और बढ़े-बढ़े उद्योगपति व गरीब के बच्चे भी एक ही स्कूल में पढ़े। जिस दिन ऐस हो जाएगा उस दिन हमारे देश में कोई बच्चा गद्दार नहीं होगा।
हमारा सनातन हमारी सरकार से संस्कार मांग रहा है। हम अंग्रेजी को भाषा के रूप में पड़े ना कि संस्कार के रूप में। ठाकुर जी ने देश के भविष्य के चिंतन के साथ अध्यात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान की कृपा तीन प्रकार से होती है एक सामान्य कृपा जो सृष्टि पर सभी प्राणियों के लिए व्यवस्था स्वरूप है। दूसरी विशेष कृपा जो सिर्फ मनुष्य के लिए है जो कि अपने इस जन्म और उस जन्मों के कर्मों पल के अनुसार इस जन्म में ईश्वर की कृपा से प्राप्त होती है।
शहीद एरवाल के पिता का किया सम्मान
इस अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव को मनाते हुए शहीद रामचंद्र एरवाल की शहादत को याद किया गया और उनके पिता अम्बाराम एरवाल को व्यासपीठ से ठाकुर जी ने सम्मानित किया। राजेश यादव ने शहीद रामचंद्र एरवाल के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर बतौर अतिथि राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त इंदौर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा, विधायक मनोज चौधरी, कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला, निगम आयुक्त विशाल सिंह चौहान, वल्र्ड रिकार्डर कला गुरू राजकुमार चंदन ने ठाकुर जी से आशीर्वाद लिया।