मालवी भाषा के प्रचार प्रसार में भेराजी सम्मान का योगदान अहम- कुलपति

bheraji samman 2022

उज्जैन, अग्निपथ। बाजारीकरण, वैश्वीकरण के इस दौर में भेराजी का परिवार आज भी मालवा की संस्कृति और परंपरा को भेराजी सम्मान के जरिये संजोये हुए है यह बहुत महत्वपूर्ण है। भेराजी की पुण्यात्मा भी आज यह सब देखकर खुश हो रही होगी कि मालवी संस्कृति के संवर्धन में उनकी तीसरी पीढ़ी समर्पित भाव से लगी हुई है। मालवी भाषा के प्रचार प्रसार में भेराजी सम्मान का योगदान अहम है।

यह विचार कालिदास अकादमी में मालवा लोककला और संस्कृति संस्थान द्वारा श्रीमती सुमन वर्मा की स्मृति में आयोजित 35वें भेराजी सम्मान समारोह में विक्रम विवि के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। सारस्वत अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. सी.जी. विजय कुमार मेनन ने कहा कि भेराजी सम्मान लोक परंपरा का सम्मान है और दोनों सम्मानित व्यक्तित्व लोकसंस्कृति को और आगे ले जाने का कार्य करेंगे। वरिष्ठ कवि साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज बहुत गौरव का दिन है, स्वाभिमान का दिन है जब भेराजी सम्मान के बहाने हम भेराजी, कैलाशजी और सुमन वर्माजी का स्मरण कर रहे हैं। जिन्होंने मालवा संस्कृति के उन्नयन में अपना जीवन समर्पित कर दिया। स्वागत भाषण मालवा लोक कला और संस्कृति संस्थान के सरंक्षक श्रीराम दवे ने देते हुए भेराजी की स्मृतियों को रेखांकित किया।

इन्हें मिला सम्मान

समारोह में प्रख्यात लोकसाहित्यविद डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा एवं लोक साहित्य की अध्येता डॉ सुमन चौरे को 35वें भेराजी सम्मान’ से अतिथियों एवं रानी जयेश भेराजी, मोनिका वर्मा, अंजू वर्मा द्वारा सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र का वाचन अशोक भाटी और डॉ राजेश रावल ने किया। अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि भेराजी सम्मान मालवी और निमाड़ी का नोबल पुरस्कार है जिसे पाकर उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा है।

सम्मानित लोक गायिका डॉ सुमन चौरे ने निमाड़ी लोक गीत गाकर प्रशंसा पाई। समारोह में सांस्कृतिक आयोजनों के तहत डॉ हरिहरेश्वर पोद्दार की सर्वोत्तम संगीत नृत्य अकादमी द्वारा उज्जैन की महिमा का लोकगीत-नृत्य से वर्णन किया गया। जयवी व्यास ने लोकनृत्य और आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कलाकार कालूराम बामनिया एवं समूह ने लोक गीत प्रस्तुत किये।

माँ सरस्वती के चित्र पर दीप आलोकन और भेराजी, कैलाशजी, सुमनजी के चित्र पर पुष्पांजली से आयोजन का आरम्भ अतिथियों ने किया। अतिथि स्वागत श्रीराम दवे, देवेन्द्र वर्मा, कमलेश वर्मा, डॉ गरिमा दवे, रमेशचन्द्र नायक आदि ने किया। समारोह में प्रो हरिमोहन बुधोलिया, डॉ पिलकेंद्र अरोरा, डॉ प्रकाश रघुवंशी, बी के शर्मा, डॉ श्रीकृष्ण जोशी, प्रो जगदीश शर्मा, डॉ प्रेमलता चुटैल, सूरज नागर, माया बदेका, संतोष सुपेकर, शैलेन्द्र व्यास, डॉ मोहन बैरागी, डॉ रफीक नागोरी, शांतिलाल जैन, डॉ प्रताप सोढ़ी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित रहे। संचालन डॉ हरीशकुमार सिंह ने और आभार जयेश भेराजी ने व्यक्त किया।

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