रूनिजा (बडऩगर), अग्निपथ। इस बार गेहूं की बंपर पैदावार के साथ-साथ बाजार में अच्छे भाव मिलने से शासन के उपार्जन केंद्र सूने पड़े हैं। बाजार में समर्थन मूल्य से दोगुने दाम और नकद भुगतान के चलते जिस तरह उपार्जन केंद्रों पर चंद किसान ही अपनी उपज ले कर पहुंच रहे हैं, इससे इस बार लक्ष्य से बहुत कम खरीदी होने की संभावना है।
इस संदर्भ में सेवा सहकारी संस्था रूनिजा उपार्जन केंद्र के ऑपरेटर विश्वराज सिंह राठौर से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि इस बार 347 किसानों ने अपना पंजीयन कराया था। जिसमें से अब तक मात्र 71 किसानों ने उपज उपार्जन केंद्र पर बेची है। गत 8 दिन से किसान उपार्जन केंद्र पर फसल लेकर आ ही नहीं रहे हैं।
संस्था प्रबंधक गोपाल साधु ने बताया कि इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार के साथ बाजारों में गेहूं के भाव उपार्जन केंद्रों से अधिक मिल रहे हैं। भुगतान भी नगद हो रहा है। इसी कारण किसानों का बाजार में उपज बेचने में रुझान है। सोमवार तक मात्र 6 हजार 436 क्विंटल गेहूं की खरीदी हुई है जिसमें से 6150 क्विंटल गेहूं परिवहन कर दिया गया है। वर्तमान में मात्र 286 क्विंटल गेहूं उपार्जन केंद्र पर स्टॉक पड़ा हुआ है । स्मरण रहे रूनिजा केंद्र पर 28 मार्च से गेहूं की खरीदी प्रारम्भ की गई थी जो 10 मई तक चलेगी।
बाजार में 2200 तक के मिल रहे भाव
इस संदर्भ में सेवा सहकारी संस्था से जुड़े आसपास गांव के किसानों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि समर्थन मूल्य भाव कम होने से तथा बाजार में भाव 2060 से लगाकर 2100, 2200 तक होने से हम लोग बाजार में बेच रहे हैं। इससे हमें दो फायदे हो रहे हैं एक तो भाव अधिक मिल रहा है। दूसरा भुगतान भी नगद मिल रहा हैं। वहीं समर्थन मूल्य पर 1015 रुपये के ही भाव मे खरीदी हो रही है। कई दिनों तक भुगतान भी नहीं आ रहा है ।
ऐसी स्थिति में बाजार में गेहूं बेचना लाभ का सौदा हो रहा है। उपार्जन केंद्रों पर इस बार नियम भी बड़े कठिन बना दिए गए हैं बिना चलना लगाएं गेहूं की खरीदी नहीं हो रही है। गेहूं का कलर थोड़ा फीका होने से उसे फेल कर दिया जाता है । ऐसे भी और कारण है। जिसको लेकर हमारी रुचि उपार्जन केंद्र के बजाय खुले बाजार में बेचने में ज्यादा हो रही है।