पंचकोशी यात्रियों का घाटों तक पहुंचना मुश्किल, कई महीने से सारे निर्माण कार्य बंद
उज्जैन, अग्निपथ। देश की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा पंचक्रोशी की व्यवस्थाओं को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा भले ही बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो किंतु कहीं ना कहीं दावों की छलनी में छेद भी नजर आ रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं प्रसिद्ध मोक्ष धाम सिद्धनाथ की। यहां मंदिर और घाटों को लेकर लगभग 9 माह पूर्व स्मार्ट सिटी के अंतर्गत कई निर्माण कार्यों का शुभारंभ किया गया था। किंतु सारे निर्माण कार्य लंबे समय से बंद पड़े हैं इस कारण यहां पिंड दान तर्पण करने आने वाले हजारों श्रद्धालु परेशान है।
स्मार्ट सिटी के अंतर्गत सिद्धनाथ क्षेत्र में करोड़ों के निर्माण कार्य मंदिर के विकास कार्य का शुभारंभ किया गया था इसको लेकर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे खोदे गए एवं सरिया गिट्टी आदि निर्माण सामग्री भी घाटो आदि पर डाल दी गई। निर्माण कार्यों में घाटों का सौंदर्यकरण मंदिर का जीर्णोद्धार शेड के निर्माण कार्य आदि किए जाने थे किंतु ठेकेदार द्वारा बिना किसी कारण के कार्य बंद कर दिया गया जबकि घाटों पर गड्ढे खोदने से मिट्टियों आदि के बड़े-बड़े ढेर पड़े हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पंचक्रोशी यात्रा के दौरान सिद्धनाथ घाट पर हजारों श्रद्धालुओं का आना आजकल में प्रारंभ हो जाएगा ऐसी स्थिति में यह श्रद्धालु घाट तक कैसे पहुंच पाएंगे यह एक यक्ष प्रश्न बनकर रह गया है प्रश्न यह भी उठता है कि पंचक्रोशी यात्रा को लेकर प्रशासन द्वारा व्यवस्था देखने हेतु एक दल भ्रमण पर निकला और उन्होंने पूरी यात्रा के मार्ग एवं पड़ाव स्थलों को यात्रियों के अनुकूल बताया था किंतु सिद्धनाथ घाट और उसके आसपास यह अव्यवस्था नजर क्यों नहीं आई। यदि यह अव्यवस्था देखी होती तो आने वाले हजारों यात्रियों के घाटों तक पहुंचने के मार्ग को अब तक सुधार दिया जाता इस स्थिति को देखते हुए किसी भी प्रकार की घटना दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सिद्धनाथ क्षेत्र के सभी पंडे पुजारियों एवं वहां आने वाले हजारों श्रद्धालुओं में इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है और उन्होंने मांग की है कि शासन-प्रशासन नगर निगम अब भी अपनी पूरी टीम लगाकर कम से कम पंचक्रोशी यात्रियों को आसानी से घाटों तक पहुंचने सुविधा उपलब्ध करा देवें तो यह भी किसी पुण्य कार्य से कम नहीं होगा वही ठेकेदार के खिलाफ भी प्रशासन को इस लापरवाही के लिए दंडात्मक कार्रवाई की जाना चाहिए।