संयम दीक्षा से पहले बहुमान: तालियां बजीं लेकिन आंखें भी हुई नम

ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन ने किया दीक्षार्थी मयूरी का सम्मान, 18 मई को अंगीकार करेंगी संयम पथ

बडऩगर (अजय राठौड़), अग्निपथ। शहर के जैन समाज में एक बार फिर सुअवसर आया है जब नगर की एक बेटी संयम पथ की दीक्षा ग्रहण करेंगी। सियाल परिवार की बेटी मयूरी सियाल 18 मई को दीक्षा ग्रहण करने वाली है। जिनके सम्मान का दौर प्रारंभ हो चुका है। ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन द्वारा रविवार को स्थानीय इन्द्रप्रस्थ गार्डन पर मुमुक्षु मयूरी का बहुमान किया गया। इस दौरान साधु-साध्वी के आशीर्वचन सुनकर तालियां तो बजी हीं लेकिन दीक्षा पूर्व के मंगलगीत सुनकर मौजूद सभी की आंखें भी नम हो गईं।

आयोजन ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल, स्थानीय एसोसिएशन सरंक्षक हरीश लाठी, अशोक गोधा, बाबूलाल तलेसरा, श्याम माहेश्वरी, भारसाधक अधिकारी (एसडीएम) निधि सिंह की उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर संत आनंदचंद्र सागरजी, संयमरत्न विजयजी, भुवन रत्न विजयजी, उत्सव चंद्र सागरजी, साध्वी प्रीति दर्शना श्रीजी, रुचि दर्शना श्रीजी ने निश्रा प्रदान की।

साधन अधिक है, और साधना कम है – संयमरत्नजी

सभा में संयमरत्न विजयजी ने कहा कि संयम पालन करने वाला संयमी होता है। संसार असार है व संयम में सार है। महावीर के शासन में गच्छ संप्रदाय नहीं बल्कि सभी एक है। आपने कहा कि त्याग, ज्ञान और वैराग्य के मार्ग में कभी मंदी नहीं आती है। पहले साधन कम थे साधना बड़ी थी। और आज साधन अधिक है और साधना कम है।

सुपुत्री दान करने वाला महान – आनंदचंद्र जी

इस मौके पर आनंदचंद्र सागरसूरीश्वरजी ने कहा कि व्यापार से ज्यादा वैराग्य मूल्यवान है। सम्मान कर बहुत बढिय़ा संदेश दुनिया को दिया है। आपने कहा जो बाहर के शत्रुओं को जितता है वो वीर कहलाता है, और जो भीतर के शत्रुओं को जितता है वो महावीर कहलाता है। मन के अंदर बैठे विकारों पर जो विजय प्राप्त करता है वह महावीर कहलाता है। सुपात्र दान तो सभी करते हैं लेकिन सुपुत्री दान करने वाला महान होता है।

प्रारंभ में मां सरस्वती के चित्र के समक्ष अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया पश्चात मंचासीन अतिथियों का स्वागत सचिव नितेश गोधा, अमन बम , राजेंद्र लाठी, बबलू माहेश्वरी, सुरेश भावसार आदि ने किया। स्वागत भाषण अध्यक्ष विजय मेहता ने दिया। इस अवसर पर मुमुक्षु परिवार के पुखराज, मनोज, संगीता, अनीता सियाल का बहुमान भी किया गया। संचालन साकेत गामा ने किया। उपरोक्त जानकारी प्रतिक पोरवाल द्वारा दी गई अंत में सभी के प्रति आभार नितेश गोधा द्वारा व्यक्त किया गया

अश्रु धारा बहने लगी – गमगीन हुआ माहोल

बहुमान कार्यक्रम के दौरान अनिल बरडिया ने मंगल गीत प्रस्तुत किया तो हाल में कुछ समय के लिए सुनापन छा गया। सियाल परिवार व उपस्थित कई जन की आंखो से अश्रुधारा बहने लगी व कुछ समय के लिए माहोल गमगीन हो गया।

जिनवाणी से वैराग्य की ज्वाला प्रज्वलित हुई – मयूरी

इस अवसर पर दीक्षार्थी बहना मयूरी सियाल ने कहा कि मैं तो सांसारिक जीवन में जी रही थी किंतु गुरु मैया प्रीतिदर्शनाश्रीजी ने मुझे धर्म मार्ग की ओर अग्रसर किया है। जिनवाणी से मेरे अंदर वैराग्य की ज्वाला प्रज्वलित हुई। वर्षों का वेग अब पूरा होने जा रहा है। 18 मई को राजोरहन प्राप्त करते ही मुझे संयम मार्ग पर बढऩे में आपका मार्गदर्शन अपेक्षित है। अनुमोदना की इस घड़ी में इशान के दीक्षा लेने पर भी उत्साह वर्धन कर बहुमान किया गया।

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