उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम आयुक्त के पूर्व निज सचिव को खुद आयुक्त ने ही निलंबित कर दिया है। निज सचिव ने बगैर आयुक्त की जानकारी के मोबाइल टॉवर की कई सारी अनुमतियों की फाईलें परवारे ही अधीक्षण यंत्री को मार्क कर दी थी। आयुक्त के पास जब यह मामला पहुंचा तो एक के बाद एक ऐसे कई सारे प्रकरण खुलते चले गए।
नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने अपने निज सहायक रहे मनीष भावसार को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए है। आयुक्त ने कुछ वक्त पहले ही मनीष भावसार को निज सहायक के पद से हटा दिया था। मनीष भावसार का मूल पद केमिस्ट का है। 20 मई को आयुक्त ने उसे विधि विभाग में पदस्थ करने के आदेश जारी किए थे।
आयुक्त के आदेश के बावजूद मनीष भावसार ने विधि विभाग में अपनी आमद ही नहीं दी और खुद अपनी मर्जी से ही लायब्रेरी में जाकर बैठने लगा था। सोमवार शाम मनीष भावसार का निलंबन आदेश जारी करते हुए आयुक्त ने उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करवा दी है। दरअसल, पिछले दिनों नगर निगम आयुक्त ने मोबाइल टॉवर की अनुमतियों से संबंधित एक समीक्षा बैठक ली थी। इस बैठक में आयुक्त के सामने एक ऐसा प्रकरण आया जो उनके कार्यालय से मार्क होकर अधीक्षण यंत्री तक पहुंचा था लेकिन खुद आयुक्त को इसकी जानकारी तक नहीं थी।
आयुक्त अंशुल गुप्ता ने अपनी निज सहायक मनीष भावसार से इस पर जवाब मांगा तो उसका कहना था कि मै भूलवश इसे आपको नहीं दिखा सका था। जवाब संदेहास्पद था। आयुक्त ने मोबाइल टॉवर अनुमतियों के दूसरे सारे प्रकरणों को खंगलवाया। एक के बाद एक ऐसे कई सारे मामले निकलने लगे। आयुक्त के कार्यालय तक आवेदन पहुंचते और पीए ही उन्हें मार्क कर अधीक्षण यंत्री को भिजवा देता। मोबाइल टॉवर की अनुमति बड़ा खेल है, लिहाजा आयुक्त ने पहले मनीष भावसार को निज सहायक के पद से हटाया, उसके खिलाफ जांच शुरू कराई और अब उसे निलंबित कर दिया है।