नेपाल के उपराष्ट्रपति के फर्जी सलाहकारों को 10 साल की सजा

न्यायालय ने लगाया 4.65 लाख का अर्थदंड

उज्जैन, अग्निपथ। नेपाल उपराष्ट्रपति के सांस्कृतिक सलाहकार बनकर सर्किट हाऊस में वीआईपी सुविधा का लाभ उठाने वाले तीन फर्जी लोगों को न्यायालय ने गुरुवार को 10 साल की सजा और 4.65 लाख के अर्थदंड से दंडित किया है। 2 साल पहले माधवनगर पुलिस ने तीनों को गिर तार किया था।

मामले के पैरवीकर्ता एजीपी मुकेश जैन ने बताया कि फरवरी 2020 में माधवनगर थाना के एसआई तरुण कुरील ने सर्किट हाऊस से नेपाल के सांस्कृतिक सलाहकार बनकर वीआईपी तरीके से ठहरे जयपुर के रहने वाले महावीरप्रसाद तोरडी, कुलदीप शर्मा और प्रमोद शर्मा को गिर तार किया था। तीनों से पूछताछ में सामने आया था कि वह कई शहरों में फर्जी सलाहकार बनकर वीआईपी सुविधाओं को लाभ ले चुके है।

पुलिस जांच में सामने आया था कि महावीरप्रसाद के खिलाफ 18 अपराधिक मामले जयपुर के थानों में दर्ज है। तीनों को गिरफ्तार पर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। गुरुवार को न्यायालय ने मामले की सुनवाई पूरी होने पर तीनों को दोषी करार देते हुए धारा 419, 420, 467, 468, 471 में अलग-अलग 10 साल की सजा सुनाई है। तीनों पर 4.65 लाख का अर्थदंड भी लगाया गया है।

ऐसे बना था उपराष्ट्रपति का फर्जी सहायक

2020 में तीनों के गिरफ्त में आने के बाद एसपी रहे सचिन अतुलकर ने मामले का खुलासा करते हुए बताया था कि मुख्य आरोपी महावीरप्रसाद तोरड़ी बीए तक शिक्षित है, जिसका नेपाल आना-जाना था। उसने वहां की संस्कृति को समझ लिया था और पर्यटक बनकर उपराष्ट्रपति के साथ फोटो खिचवा लिया था। अपराधि प्रवृति का होने पर उसने वीआईपी सूचना देने का तरीका पता किया और अपने साथियों की मदद से उपराष्ट्रपति का सलाहकार बनकर जिला मुख्यालयों पर मेल करने लगा।

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