मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष विधान सभा में रखी जायेगी मांग
उज्जैन, अग्निपथ। ब्रह्मलीन संत प्रतिराम राम स्नेही की इच्छा थी कि उज्जैन पवित्र बने, लेकिन उनकी यह इच्छा अंतिम समय तक भी कोई सरकार पूरा नही कर पाई। उनके जाने के बाद तो पवित्र नगरी की आवाज उठना ही बन्द हो गयी थी। परन्तु भगवान को कोई काम करवाना है तो वह किसी न किसी को माध्यम बनाकर पूरा करवा ही लेता है। एक ऐसा ही उदाहरण उज्जैन पवित्र नगरी को लेकर देखने को मिला है।
सन्त प्रतिराम राम स्नेही के आंदोलन को उनके देहावसान के कुछ वर्षों बाद सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश श्रीवास्तव ने हाथ में लिया और स्वर्णिम भारत मंच के बैनर तले उज्जैन पवित्र नगरी की आवाज को जनता के बीच लेकर गए। जन जन में यह बात फैलाई की महाकाल मंदिर क्षेत्र के 2 किमी परिक्षेत्र में कत्लखाने मांस मदिरा की दुकानें पूर्ण बन्द होना चाहिए। लगभग 1 लाख से अधिक लोगो के हस्ताक्षर करवाएं , रैली धरना ज्ञापन के माध्यम से सरकार प्रशासन को कत्लखाने हटाने के लिए विवश किया।
स्वर्णिम भारत मंच को अपार जनसमर्थन भी मिला परिणाम स्वरूप प्रशासन ने महाकाल क्षेत्र में चल रहे कत्लखानों व मांस की दुकानों को चिन्हित भी किया साथ ही लायसेंस निरस्त कर दिये व नए भी बनाना बंद कर दिए है। लेकिन पूरी तरह से महाकाल मंदिर मार्गो पर मांस का व्यापार बन्द नही हुआ है जिससे देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मन में काफी पीड़ा होती है।
इसी मांग को लेकर स्वर्णिम भारत मंच कई बार कलेक्टर व मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन दे चुका है परन्तु मांग पूरी नही हो पाई है, जबकि उज्जैन को 2005 में पवित्र नगरी में शामिल किया जा चुका है। कत्लखाने मांस की दुकानें हटाने की मांग को लेकर उज्जैन से भोपाल तक पद यात्रा निकालने की तैयारी की जा रही है।
दिनेश श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए हमारे प्रतिनिधि को बताया कि महाकाल मंदिर के आसपास चल रहे कत्लखाने व मांस -मदिरा की दुकाने हटाने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन सरकार सुनने को तैयार नही है। इसलिए उज्जैन से भोपाल पद यात्रा निकाली जाएगी।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि नगर निगम चुनाव के पूर्व ही एक बड़े आंदोलन की रूप रेखा तय हो गयी थी लेकिन निर्वाचन आयोग ने अचानक चुनाव की घोषणा कर दी जिससे सारी तैयारी धरी रह गयी। अब वापस से उज्जैन से भोपाल तक जमीन तैयार की जा रही है। दबी जुबान से हर कोई पवित्र नगरी बनाना चाहता है लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगे कोई मुंह खोलना नही चाहता है। बड़े नेता भी कसम कश में है। देखने लायक होगा कि जब उज्जैन की जनता भोपाल जाकर मुख्यमंत्री से पवित्र नगरी की मांग करती है तो शिवराज सिंह क्या बोलते है।