एमआईसी सदस्य कुर्सी पर बैठी रही, पति ने ली अधिकारियों की बैठक
उज्जैन, अग्निपथ। ग्राम पंचायतों और बहुत हद तक जनपद पंचायतों में महिला जनप्रतिनिधियों के बजाए उनके पति, भाई या पिता द्वारा विभागीय बैठके लेने के किस्से तो आपने अब तक काफी सुने होंगे, अब शहर में भी यहीं सब होने लगा है। गुरूवार को नगर निगम के जोन क्रमांक 4 में यहीं हुआ। महापौर परिषद की सदस्य सुगनबाई वाघेला को जोन अधिकारियों की बैठक लेकर जोन के कामकाज की समीक्षा करना थी। बैठक में वे केवल कुर्सी पर बैठी रही जबकि उनके पति बाबूलाल वाघेला अधिकारियों से सवाल-जवाब करते रहे।
गुरूवार को महापौर परिषद के सभी 5 सदस्यों को 5 जोन कार्यालयों में बैठक लेकर जोन के कामकाज की समीक्षा करने के निर्देश महापौर मुकेश टटवाल की तरफ से मिले थे। महापौर के निर्देशों के बाद जोन क्रमांक 2 में शिवेंद्र तिवारी, जोन क्रमांक 3 में डा. योगेश्वरी राठौर, जोन क्रमांक 4 में सुगनबाई वाघेला, जोन क्रमांक 6 में दुर्गाशक्ति सिंह चौधरी बैठक लेने पहुंचे।
जोन 2, 3 और 6 में शिवेंद्र तिवारी, डा. योगेश्वरी राठौर और दुर्गाशक्तिसिंह चौधरी ने अधिकारियों से शासन और नगर निगम की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ली। जोन क्रमांक 4 में अजीब स्थिति बनी। यहां एमआईसी सदस्य सुगनबाई वाघेला कुर्सी पर बैठी रही लेकिन बैठक उनके पति बाबूलाल वाघेला लेते रहे।
बाबूलाल वाघेला भाजपा के नेता जरूर है लेकिन जनप्रतिनिधि नहीं है। वे किसी भी विभागीय बैठक में शामिल भी नहीं हो सकते है। हद तो यह है कि जोन क्रमांक 4 में बाबूलाल वाघेला की बैठक में मौजूदगी के फोटाग्राफ्स भी खुद नगर निगम ने ही जारी किए है।
‘प्रतिनिधि’ पर सख्त शासन
त्रिस्तरीय पंचायत संस्थाएं और नगरीय निकायों में महिला आरक्षण को सशक्तिकरण दिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक वकालात करते रहे है। इन्हीं दो शीर्ष नेताओं की पार्टी के ही प्रतिनिधि जमींनी तौर पर महिला आरक्षण का मजाक बना रहे है। कुछ दिन पहले ही राज्यशासन ने सरकारी बैठकों में प्रतिनिधियों के शामिल होने पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश जारी किए है।
जोन 4 की बैठक में क्या हुआ, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। मैंने श्रीमती वाघेला को पहले ही बता दिया था कि बैठक आप ही को लेना है। यदि विभागीय बैठक में उनके प्रतिनिधि शामिल हुए है तो यह गलत है, आगे से ऐसा नहीं होगा। – मुकेश टटवाल, महापौर