मालवा कॉटन की रजिस्ट्री कैंसिल करने के लिए कोर्ट पहुंचा प्रशासन

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की कोर्ट में अपील दायर की

उज्जैन, अग्निपथ। आगर रोड़ स्थित मालवा कॉटन प्रेस व जीनिंग फैक्ट्री की जमीन पर अवैध तरीके से की गई रजिस्ट्रियों को शून्य घोषित कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। कलेक्टर आशीषसिंह के निर्देश पर राजस्व विभाग की ओर से तृतीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की कोर्ट में अपील की गई है।

आगर रोड़ पर उज्जैन कस्बे की सर्वे नम्बर 1729/1 की 2.801 हेक्टेयर जमींन को साल 1912 में तत्कालीन ग्वालियर रियासत द्वारा मालवा कॉटन एवं जिनिंग फैक्टरी, ताकायमी कारखाना डालने के लिए सशर्त पट्टे पर आवंटित की गई थी। जिनिंग फैक्टरी बन्द हो जाने एवं पट्टों की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण यह जमींन मध्य प्रदेश शासन के अधीन हो चुकी है।

मालवा कॉटन प्रेस की जमीन का किसी भी प्रकार से क्रय-विक्रय नहीं हो सकता है इसके बावजूद पट्टेदार परिवार के सदस्य विनय कुमार गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार खंडेलवाल, सत्येन्द्र कुमार खंडेलवाल द्वारा अनुष्का ट्रेडलिंग प्रा.लि. के किशार छाबड़ा और ईश्वरलाल पटेल को जमीन का सौदा कर इसकी रजिस्ट्री करवा दी गई है।

गलत तरीकों का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन के अवैध सौदे को निरस्त कराने के लिए अब कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर तृतीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अभिषेक नागराज के न्यायालय में अवैध रजिस्ट्रियों को निरस्त करने तथा भूमि पर कब्जा प्राप्त करने के लिए वाद दायर किया गया है। कलेक्टर ने अपर कलेक्टर अवि प्रसाद इस केस की सतत मानिटरिंग करने के निर्देश दिए है।

एक नजर कॉटन प्रेस के केस पर

  • उज्जैन कस्बा स्थित भूमि सर्वे नम्बर 1729/1 रकबा 2.801 हेक्टेयर की शासकीय भूमि घोषित है।
  • पूर्व में ग्वालियर रियासत द्वारा सन् 1912 में मालवा कॉटन एवं जिनिंग फैक्टरी को ताकायमी कारखाना हेतु सशर्त पट्टे पर दी गई थी।
  • आवंटन की शर्त ही यहीं थी कि जिनिंग फैक्टरी बन्द हो जाने पर जमींन पुनत्न शासन के पास चली जाएगी।
  • पट्टे की शर्तों के तहत मलावा कॉटन प्रेस की जमीन मध्य प्रदेश शासन में वैष्ठित हो चुकी है।
  • इसके बावजूद विनय कुमार गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार खंडेलवाल, सत्येन्द्र कुमार खंडेलवाल द्वारा अनुष्का ट्रेडलिंक प्रा.लि. द्वारा निदेशक किशोर छाबड़ा एवं ईश्वरलाल पटेल को जमीन का सौदा कर दिया गया।
  • जबकि 15 अक्टूबर 1965 को एक राजस्व प्रकरण में खुद कब्जेदार वीरेंद्र कुमार खंडेलवाल ने ही यह स्वीकार किया था कि मालवा कॉटन जिनिंग फैक्टरी की जमीन उनके परिवार को पट्टे पर मिली थी।

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