पार्षद के साथ विधायक के पास पहुंचे सुदामा अनाज मार्केट के व्यापारी
उज्जैन, अग्निपथ। दूधतलाई इलाके में नगर निगम द्वारा सुदामा अनाज मार्केट की जगह पर बनाई गई मल्टी में व्यापारियों को दुकानों का पजेशन देने में लेतलाली की जा रही है। अनाज मार्केट के लगभग 38 व्यापारी दुकानों की 3-3 किश्त जमा करा चुके है, नगर निगम को इनसे चौथी किश्त वसूलना है और दुकानों का पजेशन देना है, इसके बावजूद निगम अधिकारी ढीला रवैया अपनाए हुए है।
सोमवार को सभी व्यापारी क्षेत्रीय पार्षद सत्यनारायण चौहान के साथ विधायक पारस जैन के पास पहुंचे। व्यापारियों ने विधायक से साफ शब्दों में कहा- यदि नगर निगम ने एक महीने में दुकानें हमें नहीं सौंपी तो हम खुद ही दुकानों पर कब्जा कर लेंगे।
दूध तलाई स्थित सुदामा अनाज मार्केट को हटाकर नगर निगम ने जून 2020 में यहां जी प्लस टू कांप्लेक्स का निर्माण आरंभ किया था। इस काम का ठेका भोपाल की एक फर्म को 7 करोड़ 53 लाख रूपए में दिया गया है। नगर निगम द्वारा तय समय सीमा के मुताबिक जून 2022 में यह निर्माण पूरा कर लिया जाना था।
नगर निगम अधिकारियों ने भवन के नक्शे में बदलाव की समय रहते भोपाल से न तकनीकी स्वीकृति कराई और न ही ठेकेदार को भुगतान किया। नतीजा जिस भवन का निर्माण जून 2022 में पूरा हो जाना चाहिए था, वह सितंबर तक भी पूरा नहीं हो सका है।
सुदामा अनाज मार्केट में पहले से दुकानें लगा रहे 38 व्यापारियों को यहां की दुकानें आवंटित की जाना थी, व्यापारियों ने 15 से 18 लाख रूपए कीमत की दुकानों को आवंटित कराने के लिए बैंक से लोन लिया। दुकानों की तीन-तीन किश्त के रूप में 75 प्रतिशत राशि का भुगतान नगर निगम को कर भी दिया। व्यापारियों के बैंक लोन की किश्ते चालू हो गई है लेकिन नगर निगम इन्हें दुकानें आवंटित नहीं कर पा रहा है।
सोमवार को सुदामा अनाज मार्केट के सभी व्यापारी पार्षद सत्यनारायण चौहान के साथ सुबह करीब 11 बजे विधायक पारस जैन के पास पहुंचे और अपनी परेशानी बताई। विधायक ने इस मामले में नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता और कलेक्टर आशीष सिंह से बात की। इससे पहले सुदामा अनाज मार्केट के व्यापारी उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव और सांसद अनिल फिरोजिया को भी अपनी परेशानी से अवगत करा चुके है।0
इनका कहना
आयुक्त का रवैया ढीला है, यदि भोपाल से तकनीकी स्वीकृति ही मंगानी है तो किसी अधिकारी को नियुक्त करे और तेजी से उस पर काम करवाए। रैरा में भवन का पंजीयन है, तय समय पर यदि व्यापारियों को पजेशन नहीं दिया गया तो नगर निगम को व्यापारियों को किराए की राशि देना पड़ेगी। – सत्यनारायण चौहान, पार्षद