4 नवंबर को उठेंगे देव, मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत
उज्जैन, अग्निपथ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से ही देवउठनी एकादशी के रूप में मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 नवंबर शुक्रवार को आ रही है। यह देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन तुलसी शालिगराम विवाह नहीं हो सकेगा। उसके अलग-अलग कारण है। तुलसी शालिग्राम का विवाह शनि प्रदोष पर होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि भारतीय सनातन धर्म परंपरा में संस्कारों की विशेष महत्ता बताई गई है उन्ही में से विवाह, यज्ञोपवीत, चोल कर्म, देव प्रतिष्ठा, तीर्थ यात्रा, विशेष अनुष्ठान आदि कार्य देव प्रबोधिनी एकादशी से आरंभ करने की मान्यता भी है इस दृष्टि से 4 नवम्बर को देव उठने के बाद मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाएगी।
धर्म शास्त्रीय अभिमत तथा पंचांग की गणना तथा नक्षत्र की गणना एवं भद्रा आदि विचार के दृष्टिगत रखते हुए कुछ कारणों से इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह नहीं होगा। शनि प्रदोष पर तुलसी विवाह होगा उसमें एकादशी तथा द्वादशी का भेद भी दृष्ट होने से यह स्थिति बन रही है।
चातुर्मास व्रत होंगे पूर्ण
देवशयनी एकादशी से देव प्रबोधिनी एकादशी तक चातुर्मास माने जाते हैं। इन चातुर्मासों में भगवत भजन, संकीर्तन, भागवत पारायण, तीर्थाटन, तप, व्रत, नियम की मान्यता है। क्योंकि साधु सन्यासियों के साथ-साथ वानप्रस्थ ग्रस्तों गृहस्थियों के लिए भी यह समय विशेष माना गया है। अर्थात यदि वानप्रस्थ गमन ना हो सके तो इन 4 माह में देव आराधना कर लें। क्योंकि देवउठनी एकादशी से चातुर्मास के व्रत का समापन हो जाता है। इस दृष्टि से भी देवउठनी एकादशी विशेष मानी गई है।
विवाह की होगी शुरुआत
देव प्रबोधिनी एकादशी से ही विवाह की शुरुआत मानी जाती है। किंतु इस बार कुछ ग्रह नक्षत्र व योग के आधार पर विवाह का अनुक्रम इसी माह में आखिरी दिनों में होगा। देवउठनी से देवशयनी तक कुल 45 मुहूर्त खास रहेंगे। इस सत्र में मुहूर्तों की विशेष स्थिति भी बन रही है। वैसे तो बहुत सारे मुहूर्त हैं। किंतु 45 मुहूर्त विशेष रहेंगे। नवंबर माह में- 24, 25, 26, 28, दिसंबर माह में- 2,3,7,8,9, 13, जनवरी 2023- 25, 26, 27, 30, 31, फरवरी- 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 16, 20, 22, 24, मार्च- 8,9, मई- 1,2,3, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 29, 30, जून- 3, 5, 6, 7, 11, 12, 23। इसके बाद देव शयनी एकादशी होगी।