पोलाय कलां, अग्निपथ। बैंक से कर्ज लेने के लिए दूसरे बैंक का फर्जी प्रमाण पत्र लगाने के मामले में कोर्ट ने दो आरोपियों को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। करीब साढ़े छह साल पुराने मामले में तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश शुजालपुर ने हाल ही में यह फैसला दिया है।
कोर्ट ने आरोपी विक्रम सिंह पिता जगन्नाथ (52 वर्ष) निवासी ग्राम पोलाय कला को धारा 471 भारतीय दंड विधान में 2 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 300 अर्थदंड, धारा 467/ 120 बी में 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 अर्थदंड के अलावा धारा 420 120 में 2 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500 अर्थदंड धारा 471 /120 बी में 2 वर्ष सश्रम कारावास एवं 300 रुपए अर्थदंड किया है।
वहीं धारा 420 /120 बी भारतीय दंड विधान में 2 वर्ष सश्रम कारावास एवं 300 अर्थदंड से दंडित किया गया। वहीं दूसरे आरोपी रजनीश भमुरिया को धारा 467 भारतीय दंड विधान में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 अर्थदंड धारा 471 /120 बी भारतीय दंड विधान 2 वर्ष सश्रम कारावास 300 अर्थदंड धारा 420 120 बी भारतीय दंड विधान में 2 वर्ष सश्रम कारावास एवं 300 अर्थदंड से दंडित किया।
अभियोजन के मुताबिक आरोपी विक्रम सिंह की जूते-चप्पल की दुकान है। उसने भारतीय स्टेट बैंक की पोलायकलां शाखा से 25 हजार 600 रुपए कर्ज लिया था। जिसका ब्याज सहित 24 हजार 689 रुपए जमा न कराते हुए उसने नर्मदा-झाबुआ ग्रामीण बैंक से कर्ज लेने के लिए स्टेट बैंक का फर्जी नो-ड्यूज प्रमाण पत्र पेश कर दिया। इस आधार पर ग्रामीण बैंक से उसने 50 हजार रुपए का लोन ले लिया।
जानकारी लगने पर भारतीय स्टेट बैंक शाखा पोलाय कला के प्रबंधक प्रभात शर्मा ने 20 अप्रैल 2016 को पुलिस चौकी पोलाय कला में इस मामले में शिकायत दर्ज की थी। जांच में पता चला कि फर्जी नो ड्यूज प्रमाण पत्र बनाने में आरोपी रजनीश भमुरिया ने 1500 रुपए लेकर विक्रम सिंह की मदद की थी। पुलिस द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों गवाहों और सबूतों के आधार पर न्यायालय द्वारा दोनों को दोषी करार देते हुए अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई।