27 वर्ष बाद बना संयोग
उज्जैन, अग्निपथ। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकटा चौथ या संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार संकष्टि चतुर्थी 10 जनवरी मंगलवार को होने से अंगारकी चतुर्थी कहलाएगी। वर्ष भर में आने वाली चतुर्थी में यह चतुर्थी सबसे बड़ी है। मंगलवार को नक्षत्र की अनुकुलता के कारण चतुर्थी सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही है। इस योग में की गई साधना उपासना मनोवांछित फल प्रदान करती है।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि मंगलवार के दिन आश्लेषा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होता है। साथ ही मंगलवार के दिन चतुर्थी आने से अंगारकी चतुर्थी का योग बनता है। इस दौरान कन्या अथवा बालक के शुभ विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो इस दिन का उपयोग कर लेने से अर्थात भगवान गणपति माता चौथ का पूजन करने से संकट बाधा निवृत्त हो जाते है। कार्य सिद्ध होता है।
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि 12 मास में आने वाली 24 चतुर्थीयों में 12 कृष्ण पक्ष की और 12 शुक्ल पक्ष की चतुर्थी होती है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। माघ मास में आने वाली चतुर्थी बड़ी मानी जाती है। इस दृष्टि से इस व्रत को महिलाएं करती है।
मंगलनाथ और गणेश मंदिरों में रहेगी भीड़
चतुर्थी मंगलवार को होने से यह अंगारकी चतुर्थी होगी। इस दिन प्रसिद्ध श्री मंगलनाथ मंदिर में विवाह आदि में आ रही बाधा दूर करने के लिए भगवान मंगलनाथ की भात पूजन कराने का विधान है। देशभर के भक्त इस दिन श्री मंगलनाथ और शिप्रा तट स्थित श्री अंगारेश्वर मंदिर में पूजन कराने पहुंचते है। इसी तरह श्री चिंतामन गणेश मंदिर, मंछामन गणेश मंदिर, सिद्धिविनायक गणेश मंदिरों में भगवान गणेश का पूजन करने के लिए श्रद्धालु उमड़ेगें।
नक्षत्रों की गणना में वर्षों बाद बना संयोग
इस बार अश्लेषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में अंगारकी चतुर्थी होने से यह विशेष प्रबल हो गई है। इस तरह का संयोग नक्षत्र मंडल की गणना से देखें तो 27 वर्ष के बाद बनता है। इस लिए व्रत के दिन विशिष्ट अनुष्ठान करना चाहिए।