दर्शनार्थियों की निकलने के रास्ते पर डॉग फरमाते रहते आराम
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में विगत कई महीनों से कुत्तों ने कब्जा जमा रखा है। इतना ही नहीं दर्शनार्थियों की निकलने के रास्तों पर भी यह आराम करते देखे जा सकते हैं। भूलवश यदि किसी का पैर इन पर रखा जाय तो यह अनिष्ट का कारण बन सकता है। महाकालेश्वर मंदिर में बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी भगवान के दर्शन को आते हैं। लेकिन यह सब देखकर भी मंदिर प्रशासन इससे अंजान बना हुआ है।
महाकालेश्वर मंदिर में आधा दर्जन से अधिक कुत्ते सभामंडप, निर्गम गेट, मंदिर परिसर, कोटितीर्थ कुंड के आसपास घूमते दिख जायेंगे। सभामंडप तो इनका आरामगाह बना हुआ है। जबकि सबसे अधिक भीड़ सभामंडप में ही रहती है। इनके हौंसले इतने बुलंद है कि वह सभामंडप के गुजरने वाले रास्ते पर ही आराम फरमाते हुए मिल जायेंगे।
वहीं कोटितीर्थ कुंड के रास्ते पर भी इनको सोता हुआ देखा जा सकता है। जबकि विशेष वीआईपी मूवमेंट निर्माल्य गेट के अलावा 13 नंबर गेट से भी होता है। यदि किसी दर्शनार्थी का पैर धोखे से इन सोते हुए कुत्तों पर रख जाय तो अनिष्ठ का आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
पहले रखा जाता था नियंत्रण
पूर्व के प्रशासकों द्वारा शिकायत मिलने पर कुत्तों को पकड़ाने का काम भी करवाया जाता था। मंदिर के सिक्यूरिटी गार्डों को इस काम में लगाया जाता था। जिसके चलते मंदिर के अंदर कुत्ते प्रवेश नहीं कर पाते थे। लेकिन अब सामने देखे जाने के बाद भी मंदिर के सिक्यूरिटी गार्ड इन कुत्तों को अनदेखा कर आगे निकल जाते हैं।
जबकि उनके काम में भी यह काम शामिल है। कुत्तों को मंदिर में प्रवेश से रोकने के लिये उनके आगमन के स्थान पर जाली भी लगवाई गई थी। लेकिन अब बड़े काम हाथ में आ जाने के बाद मंदिर प्रशासन ने इस ओर की सुध लेना बंद कर दिया है।
बड़ा काम हाथ में, छोटे की कैसे लें सुध
महाकालेश्वर मंदिर में जब से महाकाल लोक बना है, तब से मंदिर प्रशासन की व्यस्तता भी काफी बढ़ गई है। एक की जगह दो जगह व्यवस्थाएं बनाना पड़ रही हैं। ऐसे में छोटी व्यवस्थाएं देखना मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने बंद कर दिया है। हालांकि मंदिर प्रशासक संदीप सोनी इन व्यस्तताओं के बीच छोटी व्यवस्थाओं पर भी अपनी निगाहें फोकस कर लेते हैं। लेकिन मंदिर के दूसरे अधिकारी किस तरह से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। जबकि वह फील्ड में अधिक रहते हैं।