दूधतलाई गुरूद्वारा श्री गुरूसिंघ सभा के चुनाव को लेकर शिकायत
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में सिख समाज की सबसे पुरानी संस्था दूधतलाई स्थित गुरूद्वारा श्रीगुरू सिंघ सभा के चुनाव से जुड़ा विवाद रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी में की गई है। मामला, संस्था के चुनाव से जुड़ा हुआ है। चुनाव में शामिल एक खेमे का आरोप है कि चुनाव प्रक्रिया दोषपूर्ण है। जिन्होंने निर्वाचन से ही नाम वापस ले लिया था, उन्हें ही सहायक चुनाव अधिकारी ने बाले-बाले निर्विरोध अध्यक्ष घोषित कर दिया है।
रजिस्ट्रार फम्र्स एंड सोसायटी को यह शिकायत मंछामन कॉलोनी में रहने वाले सरदार जसविंदर सिंह ठकराल व राजस्व कॉलोनी निवासी सरदार सुरजीत सिंह डंग ने की है। गुरूद्वारा श्री गुरूसिंघ सभा रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के अंतर्गत 1973 में पंजीकृत हुई संस्था है। संस्था में 842 सदस्य है।
एक नजर शिकायत पर
- मार्च 2021 में गुरूद्वारा श्रीगुरू सिंघ सभा के अध्यक्ष पद के निर्वाचन के लिए चुनाव सहायक मस्तान सिंह छाबड़ा व हरभजन सिंह डंग ने संयुक्त रूप से चुनाव कार्यक्रम जारी किया था।
- 22 मार्च 2021 से 11 अप्रैल 2021 की अवधि का चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ। 1 अप्रैल तक कुल 12 लोगों ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन जमा किए।
- 3 अप्रैल को इनमें से 8 लोगों ने नामांकन वापस ले लिए। नाम वापस लेने वालों में गीता कॉलोनी निवासी दलजीत सिंह अरोरा जी का भी नाम शामिल था। उन्होंने भी नाम वापसी पत्रक जमा किया था।
- चुनाव प्रक्रिया के बीच कोविड संक्रमण की वजह से लॉक डाउन लगाना पड़ा और 8 अप्रैल को चुनाव प्रक्रिया स्थगित कर दी गई। इसके बाद लगातार अलग-अलग वजहों से चुनाव प्रक्रिया टाली जाती रही।
- 12 मार्च को चुनाव सहायक मस्तान सिंह छाबड़ा ने खुद को मुख्य चुनाव अधिकारी दर्शाते हुए दलजीत सिंह आरोरा को निर्विरोध अध्यक्ष घोषित कर दिया जबकि वे 3 अप्रैल 2021 को ही अध्यक्ष पद के निर्वाचन से नाम वापस ले चुके थे।
फर्जी है नाम वापसी का पत्रक
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा संस्था के मुख्य निर्वाचन आयुक्त एडवोकेट मस्तान सिंह छाबड़ा ने निर्वाचन संबंधी शिकायत में सामने आए तथ्यों को झूठा बताया है। श्री छाबड़ा ने कहा कि चुनाव स्थगित करने के वक्त केवल दो ही नाम शेष रह गए थे। जिन्होंने शिकायत की है वे खुद ही गलत है, उन्होंने नाम वापसी का जो पत्रक शिकायत के साथ लगाया है वह फजीँ है। श्री छाबड़ा ने कहा कि यदि किसी को चुनाव प्रक्रिया पर शंका है तो वे सीधे कोर्ट में केस दायर क्यों नहीं करते।