उज्जैन, अग्निपथ। भारत उत्कर्ष, नवजागरण और वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2023 (विक्रम सम्वत 2079) अंतर्गत आईएफएफएएस पौराणिक फिल्मों का अंतरराष्ट्रीय फि़ल्म समारोह के चौथे दिन 17 फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई।
फि़ल्म फेस्टिवल पर बोलते हुए महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि सिनेमा, साहित्य, संस्कृति, संगीत, चित्रकला व कला के कई विधाओं का हिस्सा है। फि़ल्म समारोह आयोजन के विचार से पहले हमें लगता था कि पुरातन और पौराणिक इतिहास पर केवल हिंदुस्तान में ही शोध, अध्ययन और फि़ल्म निर्माण का कार्य किया जाता होगा लेकिन हम गलत थे दुनिया के कई देशों में प्राच्य इतिहास और प्राचीन सभ्यता पर काम किया जा रहा है। हमें लगा कि क्यों न इन कामों को एक मंच पर लाकर लोगों को दिखाया जाए।
उन्होंने बताया कि पेरू के राजदूत ने बताया कि पेरू में 5 हजार साल पुरानी सभ्यता के जो अवशेष मिले है उसमें शस्त्र नहीं है यही तथ्य भारतीय पौराणिक सभ्यताओं में भी दिखाई देते है। इससे साबित होता है कि प्राचीन सभ्यताएँ युद्ध नहीं भाईचारे पर चलती थी। इस भाईचारे की साझी विरासत को पुन: स्थापित करने का प्रयास है।
हालाँकि फि़ल्म फेस्टिवल जिस रूप में होना चाहिए अर्थात फि़ल्म प्रदर्शन के साथ उनपर चर्चा, आम लोगों की भागीदारी, सिनेमा से जुड़े अन्य लोगों का सहयोग आदि उस स्तर पर आयोजन के लिए हमने अभी पहली सीढ़ी भी नहीं चढ़ी है। इसे समृद्ध बनाने का हमारा प्रयास जारी रहेगा। निदेशक ने कहा की इस तरह के फि़ल्म फेस्टिवल में जिन फिल्मों को दिखाया जा रहा है उससे आज के फि़ल्म निर्माता और सिनेमा से जुड़े लोगों को प्रेरणा मिल सकती है।