भूतड़ी अमावस्या पर शिप्रा किनारे दिनभर चला नहान, ग्रामीण क्षेत्रों से आये लाखों श्रद्धालु
उज्जैन, अग्निपथ। भूतड़ी अमावस्याौ, जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन का भूतों के साथ कोई न कोई संबंध जरूर है। चैत्र मास की अमावस्याम को शिप्रा किनारे कालियादेह पैलेस के 52 कुंड और रामघाट पर भूत-प्रेत बाधा निवारण के लिए आये श्रद्धालुओं का मेला लगा। नदी के पानी में उतरते ही तरह-तरह की आवाजों से ऐसा लग रहा था मानों ये वाकई भूतों का मेला है।
मंगलवार को भूतड़ी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की शिप्रा तट पर भीड़ दिखाई दी। भूतड़ी अमावस्या पर शिप्रा नदी के किनारे रामघाट और दत्त अखाडा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ स्नान करने पहुंची। वहीं केडी पैलेस पर भी ग्रामीण इलाकों से आए श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। मंगलवार को सुबह से ही कालियादेह पैलेस के 52 कुंड पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी। 52 कुंड पर नजारा कुछ अलग था। भूत-प्रेत का साया और तंत्र-मंत्र के नाम पर यहां डुबकी लगाई जा रही थी।
माना जाता है कि अमावस्या पर स्नान करने से बाहरी बाधा से मुक्ति मिलती है। इसी के चलते देश भर से कई श्रद्धालु अमावस्या पर डुबकी लगाने बावन कुंड पर पहुंचते है। 52 कुंड पर सूर्य कुंड, नाग कुंड, पिशाच कुंड, जिन्न कुंड, भूत कुंड पर श्रद्धालु स्नान के बाद भैरव का पूजन कर परिक्रमा करते है।
भूतड़ी अमावस्या का ज्योातिष में भी विशेष महत्व
ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या को विशेष तिथि माना गया है। कालियादेह पैलेस पर भैरव मंदिर के पुजारी चिंतामन गुरू नाहरवाला ने बताया कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से उपरी बाधाओं का निवारण होता है और पितृों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।