केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हत्या के मामले में बंद विचाराधीन कैदी ने आत्महत्या कर ली इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं जेल प्रबंधन पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं। प्रश्नचिन्ह खड़े होना लाजमी भी है।आखिरकार जेल में बंद कैदियों को इतनी छूट थी कि वह उनकी मर्जी से कहीं पर भी आ जा सकते थे। दूसरी बात यह भी है कि थोड़ी देर के लिए मान लिया जाए कि युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया तो क्या पूरे जेल परिसर में कोई भी उसे रोकने वाला नहीं था। हालांकि प्रथम दृष्टया जेल अधीक्षक ने इस पूरे मामले में चार लोगों को दोषी पाते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड करने से क्या मृत युवक फिर जीवित हो सकता है। जिन परिस्थितियों में उस पर अपराध सिद्ध नहीं हुआ हो कहीं ना कहीं इस पूरे प्रकरण में जेल प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। जेल प्रबंधन अब अपने हाथ बचाता फिर रहा है। वहीं दूसरी ओर इस पूरी घटना की न्यायिक जांच के आदेश देकर अभी से पर्दा डालने का काम भी शुरू हो गया है। किसी तरह का कोई विरोध हो उसके पूर्व न्यायिक जांच का आदेश देकर विरोध को दबा दिया गया है। कुछ भी हो इस पूरे मामले का सच सबके सामने आना चाहिए। अन्यथा ऐसा प्रतीत होगा कि जेल में बंद कैदी भी अब सुरक्षित नहीं हैं।