निगम गलियारों में मिस्टर ‘‘नो इंट्री’’ बने चर्चा का विषय

उज्जैन। नगर पालिक निगम में कोष से जुड़े एक अधिकारी के कारनामों की चर्चा इन दिनों निगम के गलियारों में खूब हो रही है। लगभग 4 माह पहले मुरैना से स्थानांतरित होकर आये साहब मुरैना में भी सुर्खियों में रहे। खबरनवीसों की माने तो वहां के निगमायुक्त के विरुद्ध षडय़ंत्र करने के कारण इन्हें मुरैनावासियों ने रवानगी दे दी।

अपने आपको राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का करीबी प्रचारित करने वाले इस अधिकारी ने मालीपुरा स्थित आराधना भवन में कुछ दिनों के लिये शरण ली थी। चाल, चरित्र और चेहरे वाली भारतीय जनता पार्टी भी नगर निगम उज्जैन में इनके कुकृत्यों से शर्मसार हो रही है। शुरुआत में तो अपने आप को सत्यवादी व ईमानदार राजा हरीशचंद्र का वंशज साबित करने की कोशिश की परन्तु बाद में धीरे-धीरे अपना रंग दिखाना शुरू किया।

पीडि़त ठेकेदारों ने अग्निपथ को बताया कि 1 प्रतिशत पीसी के अलावा अतिरिक्त रकम लेकर साहब भुगतान करने की सुपारी भी धड़ल्ले से ले रहे हैं। कोष कक्ष से भूतल पर अपना केबिन स्थापित करने वाले यह महाशय हर वक्त व्यस्त रहते हैं। दरवाजे पर बैठा चपरासी हर आगंतुक हो या फाइलों की पेशी कराने वाले निगमकर्मी को यही संदेश देता है कि साहब ने बोला है ‘‘नो इंट्री’’। इसके कारण निगमकर्मी भी परेशान हैं। निगम के गलियारों में यह भी चर्चा है कि इतना तो आयुक्त भी व्यस्त नहीं रहते हैं। अपने को आयुक्त से भी ऊपर समझने वाले यह महोदय ईमानदार निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल के विरुद्ध भी षड्यंत्र का ताना-बाना बुनने में लगे हैं।

अपने आपको पूर्व संभागायुक्त आनंद शर्मा, जिलाधीश आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक के नजदीक होने, विश्वासपात्र होकर रोजाना उनके साथ खाना खाने, साथ उठने-बैठने के किस्से कहानी बयांकर रौब झाडऩे का प्रयास करते हैं। नवागत अधिकारी महाकाल की नगरी के पालक भोलेनाथ के पुत्र के नाम राशि हंै। अपने आपको चतुर सुजान समझने वाले इस नगरी में नये-नये आये हैं उन्हें यह नहीं पता कि यह महाकाल की नगरी है और जब भूतभावन का तीसरा नेत्र खुलता है तो ऐसे लोगों का हाल बुरा होता है।

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