जनसंचार माध्यमों में अवसरों के लिए जुनून आवश्यक-डॉ. नरगुंदे

उज्जैन,अग्निपथ।विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन शाला में मंगलवार को जनसंचार माध्यम: अवसर, चुनौतियां और संभावनाओं पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। जहां मुख्य अतिथि के रूप में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर की पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की अध्यक्ष डॉ. सोनाली नरगुंदे एवं ओस्लो नॉर्वे से ऑनलाइन माध्यम द्वारा साहित्यकार और मीडिया विशेषज्ञ सुरेश चंद्र शुक्ल उपस्थित थे।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के साथ हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रो. प्रेमलता चुटैल, प्रो. गीता नायक, डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार अर्जुनसिंह चंदेल एवं नुरूक्त भार्गव ने भी कार्यशाला में भाग लिया।

कार्यशाला की मुख्य अतिथि डॉक्टर नरगुंदे ने बताया कि जनसंचार के क्षेत्र में अवसर अनंत और चुनौतियां सिर्फ दो हैं मन और मस्तिष्क। मीडिया से जुड़े लोगों के लिए काम अनेक हैं। जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विज्ञापन कंपनियां, सिनेमा, वेब सीरीज, डबिंग कार्टूनिंग आदि। परंतु इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए सबसे जरूरी है जुनून। डॉक्टर नरगुंदे ने आगे कहा कि कोरोना काल में प्रिंट मीडिया ने सशक्त ढंग से आम लोगों तक अपनी बात पहुंचाई है। ऑनलाइन माध्यम से जुड़े सुरेश चंद्र शुक्ल ने कहा कि मीडिया का कार्य जनता के लिए होना चाहिए। जनसंचार माध्यम से जुड़े लोगों को सदैव पढऩे और लिखने की लालसा से अपने ज्ञान का विकास करते रहना चाहिए। उन्होंने यहां अपने संग्रह लाकडाउन की प्रतिनिधि कविताएं भी सुनाई।

हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि नया मीडिया वासुदेव कुटुंबकम के मंत्र को चरितार्थ कर रहा है। कोरोना संकट में जनसंचार ने वास्तविक सूचनाओं से अवगत कराया है। नई वैश्विक व्यवस्था में वास्तविक स्थिति से अवगत कराने में जनसंचार माध्यम बहुत मददगार साबित हो रहा है। साथ ही जनसंचार के क्षेत्र में नए अवसर और चुनौतियों से रूबरू होकर ही संभावनाएं तलाशी जा सकती है। प्रोफेसर शर्मा ने लॉकडाउन में पत्रकारों द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों के लिए पत्रकारों को सम्मान व्यक्त किया।

प्रो. गीता नायक ने जनसंचार को भाषा ज्ञान से जोड़ते हुए कहा कि भाषा ज्ञान के बिना जनसंचार कभी भी पूरा नहीं हो सकता। प्रोफेसर प्रेमलता चुटैल ने कहा कि शब्दों में बहुत ताकत होती है हमारी भाषा-शैली से हमारे संस्कारों का परिचय होता है। जन कल्याण के लिए अपने विचार रखना आज के युवाओं का दायित्व बनता है।

पत्रकार निरुक्त भार्गव ने कहा कि जनसंचार तकनीकों का तेजी से विकास हो रहा है। इस दौर में आवश्यक है कि सूचनाएं प्रामाणिक और प्रभावी हो। पत्रकार अर्जुनसिंह चंदेल ने कहा कि मीडिया का स्वरूप व्यापक हो गया है। मीडिया से जुड़े लोग विभिन्न माध्यमों से अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं। डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा ने कहा कि मीडिया हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। भाषा और संस्कृति पर मीडिया ने व्यापक प्रभाव डाला है। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार व प्रो. हीना तिवारी ने किया। टेक्निकल प्रबंध शुभम माहौर, अंजली श्रीवास्तव एवं श्रद्धा पंचोली द्वारा किया गया।

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