उज्जैन। धार्मिक यात्रा पर आये श्रद्धालुओं को बुधवार दोपहर क्षिप्रा नदी में डूबता देख रामघाट पर फोटोग्राफी करने वाला बचाने के लिये नदी में कूदा तो खुद डूब गया। उसने 2 श्रद्धालओं को बचाकर बाहर निकाल लिया था। पूर्व में भी वह कई लोगों की जान बचा चुका था।
महाकाल थाने के एसआई प्रवेश जाटव ने बताया कि दोपहर तीन बजे के लगभग रामघाट पर महाराष्ट्र के जलगांव से आई महिला श्रद्धालु मंगलाबाई पति नारायण 50 वर्ष क्षिप्रा नदी में नहाने के लिये उतरी थी, लेकिन अचानक गहरे पानी में चली गई। उन्हें डूबता देख भानजा हरिराम पिता गोपाल रेड्डी नदी में उतरा तो वह भी गहराई में जाकर डूबने लगा।
दोनों को देख रामघाट पर फोटोग्राफी करने वाला पंकज पिता भैरुलाल चावड़ा 35 वर्ष निवासी जयसिंहपुरा उन्हें बचाने के लिये नदी में कूद गया। पहले उसने महिला श्रद्धालु को बचाकर बाहर निकाला और दूसरी बार में पुरुष श्रद्धालु को किनारे तक लेकर आया गया। जिसे लोगों ने पकड़ कर बाहर खींचा इस बीच अचानक पंकज गहराई में चला गया।
घाट पर मौजूद लोगों को ध्यान बचाकर बाहर निकाले गये श्रद्धालुओं पर था। किसी का ध्यान पंकज की ओर नहीं गया। जब वह कुछ देर तक बाहर नहीं आया तो अन्य तैराकों ने उसकी तलाश के लिये छलांग लगाई। आधे घंटे की तलाश के बाद पंकज को बाहर निकाला गया, उसकी सांसे थम चुकी थी। संभवत: श्रद्धालुओं को बचाने में उसकी सांसे फूल गई थी और वह खुद का संभाल नहीं पाया। जिसके चलते गहराई में चला गया। पुलिस ने शव जिला अस्पताल पहुंचाकर मर्ग कायम करने के बाद पोस्टमार्टम कराया है।
अच्छा तैराक था पंकज
रामघाट पर मौजूद तैराक दल के सदस्यों और होमगार्ड सैनिक जगदीश ने बताया कि पंकज काफी अच्छा तैराक और गोताखोर भी था। वह फोटोग्राफी के साथ क्षिप्रा में डूबते लोगों की जान बचाने का काम करता था। पूर्व में उसने कई लोगों को डूबने से बचाया था। उसने कई बार तैराक दल की मदद की थी। उसकी मां रामघाट पर ही हार-फूल की दुकान लगाती है। पंकज एक बच्चे का पिता था।