अर्जुन सिंह चंदेल
भूटान की राजधानी थिम्पू जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह-जगह ‘ग्रीन भूटान’, ‘क्लीन भूटान’ के आकर्षक बोर्ड हमें हमारे देश की याद दिला रहे थे। हर 10-20 किलोमीटर की दूरी पर यात्रियों की सुविधा के लिये जनसुविधा केन्द्र बने हुए थे। भारत की तरह हर जगह खड़े होकर लघुशंका की आजादी कदापि नहीं थी भले ही आप घने जंगल के बीच से गुजर रहे हो।
देशभक्त भूटानी मार्गदर्शक और ड्रायवर भारतीयों को पहले ही ऐसा ना करने की ताकीद कर देते हैं। पानी की खाली बोतल और प्लास्टिक भी गाड़ी के बाहर फेकना अपराध है। मार्ग में एक जगह सुंदर झरना था जहाँ हमारी गाड़ी को फोटोग्राफी के लिये रोका गया था। सुंदर नजारा था वहाँ लगे एक शासकीय बोर्ड ने हमारा ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच लिया उस पर जो अंकित था वह मैं आपको बताना जरूर चाहूँगा।
- कचरा डालने पर पहली बार 250, दूसरी बार 500 तीसरी बार पर 750 नगुलदूम (भूटानी मुद्रा) का जुर्माना।
- अनाधिकृत स्थान पर लघुशंका करने पर पहली बार 500 दूसरी बार 1000 तीसरी बार पर 1500 नगुलदूम जुर्माना।
- वाहन धोये जाने पर 5000 जुर्माना।
- वेस्ट मटेरियल अनाधिकृत स्थान पर डम्पिंग करने पर पहली बार पर 3000 दूसरी बार पर 6000 और तीसरी बार पर 9000 भूटानी मुद्रा का जुर्माना था।
काश मेरे भारत में भी स्वच्छता के लिये ऐसे कड़े कानून बनाये जाते और उनका पालन सुनिश्चित किया जाता।
भारतीय होने पर इतना टेक्स क्यों
दोपहर के लगभग 3 बज रहे होंगे अभी 2-3 घंटे का सफर बाकी था। राष्ट्रीय राजमार्ग पर हमें इंडियन आयल और भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंपों के साईन बोर्ड देखकर अपने आप के भारतीय होने पर गर्व महसूस हो रहा था। तभी हमारी गाड़ी एक पेट्रोल पंप पर ईधन भरवाने के लिये रूकी, पत्रकार होने की वजह से हमें भाव जानने की उत्सुकता हुयी।
हम उस वक्त दंग रह गये जब हमने भारत से ही आ रहे डीजल का भाव 65 रुपये 80 पैसे और पेट्रोल का 60 रुपये प्रति लीटर का बोर्ड देखा। हमारे वाहन ने डीजल भरवाया गाड़ी तो चल दी पर हम आज तक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि हमारे ही देश से आने वाला डीजल-पेट्रोल इतना सस्ता क्यों? हमें हमारी सरकारें हमसे भारतीय होने पर इतना टेक्स क्यों वसूल रही है?
मदिरा भावों में भारत से बहुत ज्यादा अंतर नहीं
रास्ते में सुंदर रेस्टोरेन्ट में चाय पी और थोड़ा सा नाश्ता किया। इस रेस्टोरेन्ट को भी पूरी तरह से महिलाएं ही संचालित कर रही थी। काउंटर के पीछे शोकेस में मदिरा की बोतलें इतरा रही थी और ग्राहकों का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। साथी मद्यप्रेमियों ने भाव पूछा परंतु निराशा हाथ लगी क्योंकि हमारे देश की तुलना में भावों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं था।
दुनिया की सबसे खूबसूरत राजधानियों में से एक भूटान की थिम्पू
अपने सामान्य ज्ञान को बढ़ाकर हम चल दिये सफर पर। 50-60 किलोमीटर दूर थी अभी हमारी मंजिल। पूरा रास्ता घुमावदार और पहाड़ों पर होने के कारण गाड़ी 25-30 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार ही नहीं पकड़ पा रही थी। फुंटशोलिंग से थिम्पू तक 150 किलोमीटर के सफर में कोई भी दर्शनीय स्थल नहीं है। हमारा 6 जनवरी को दिन तो पूरा सफर में ही जाना था। थिम्पू में 2 ही रात्रि का विश्राम था। दिन, ढ़लने का इशारा कर रहा था, सूर्य देवता की तपिश निस्तेज हो चली थी।
हमें शनै-शनै: दुनिया की सबसे खूबसूरत राजधानियों में से एक भूटान की राजधानी थिम्पू के बिलकुल नजदीक आ गये थे। भूटान में प्रवेश करते ही कलाइयों पर बंधी घडिय़ों और मोबाइल फोन की घडिय़ों में आधे घंटे का अंतर आ गया था। भूटान का समय हमारे देश से आगे है।
शेष कल