ढाई करोड़ की जमीन 10 लाख में बेच दी, पूर्व डीआईजी की शिकायत पर खुला राज

पूर्व आईएएस, आईपीएस के प्लॉट का ही नामांतरण करना भारी पड़ा एसडीएम साहू को, यूडीए व सोसायटी का पक्ष भी नहीं सुना

उज्जैन (ललित जैन)। एक शातिर ने सेवानिवृत आईजी डॉ. रमणसिंह सिकरवार व पूर्व आईपीएस के रिश्तेदार सहित छह लोगों के प्लाट कब्जा कर बेच दिए। बसंत विहार स्थित ढाई करोड़ रु ए के भूखंड मात्र 10 लाख रु ए में बेचने का मामला दबा रह जाता, लेकिन डॉ. सिकरवार ने चार दिन पहले संभागायुक्त संदीप यादव से शिकायत की तो मामले का खुलासा हो गया। नतीजतन कब्जेदार को जमीन नामांतरण करना एसडीएम को भारी पड़ गया।

उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) रिकार्डनुसार बालाराम माली ने भारत हाउसिंग सोसायटी को बेच दी थी। यूडीए ने सोसायटी से विकसित प्लाट के बदले उक्त जमीन ली और उस पर काटे 216 व 279 वर्ग मीटर के छह प्लाट आईपीएस अभयसिंह परमार,नाथूलाल परमार, पूर्व आईजी (अब लोक सेवा आयोग सदस्य) डॉ. रमणसिंह सिंह सिकरवार. यूडीए के पूर्व इंजीनियर दिनेश कुमार शर्मा (अब अमेरिका में) व विनोद कुमार फूलवानी को बेच दिए थे। बावजूद वर्ष 2020 में भूखंड के पूर्व मालिक बालाराम की बहन ब्राह्मण गली निवासी लीलाबाई पति स्व. मांगीलाल माली (74) ने जमीन अपनी बताते हुए नामांतरण की अपील की। निरस्त होने पर पुरुषोत्तम माली को मुख्त्यारनामा कर दिया। उसने आनंद नगर के वासुदेव पिता कालीचरण कुरील को बेच दी। मामले में लीलाबाई के आवेदन करने पर एसडीएम संजीव साहू ने नियम विरुद्ध नामांतरण कर दिया। नतीजतन कुरील के भूखंड पर बोर्ड लगाने पर डॉ. सिकरवार को पता चला और उन्होंने 14 मार्च को संभागायुक्त यादव से कब्जे की शिकायत कर दी। संभागायुक्त ने फाइल तलब की। उन्होंने धांधली सामने आने पर बुधवार को कोठी महल के एसडीएम साहू को निलंबित कर दिया।

रजिस्ट्री में भी धांधली

खास बात यह है कि भूमाफियाओं ने रजिस्ट्री करने में बसंत विहार की गाईड लाइन तक को दरकिनार कर दिया। उक्त स्थान र 17600 रु ए वर्गमीटर कीमत मतलब कार्नर के दो बड़े प्लाट की कीमत 90 लाख और चार प्लाट 1.60 करोड़ के है। लेकिन पुरुषोत्तम ने सभी प्लाट मात्र 10 लाख रुपपए में बेचना दर्शाते हुए कुरील को रजिस्ट्री कर दी। इसमें भी नगद राशि पूर्व में देना बता दिया, जबकि नियमानुसार मात्र 20 हजार रुपए नकद दिये जा सकते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण अनदेखी

लीलाबाई ने 2020 में भी नामांतरण का प्रयास किया था, निरस्त होने पर पुनः आवेदन दिया था। इस पर एसडीएम ने साहू ने न बटांकन देखा न सीमांकन रिपोर्ट मंगवाई। उन्होंने यूडीए और भारत हाउसिंग सोसायटी का पक्ष भी नहीं जाना। लेकिन जानकारी मिलने पर यूडीए ने 17 फरवरी 2021 को विज्ञप्ति निकाली। बावजूद साहू ने इसे भी अनदेखा कर नामांतरण कर दिया। मामले में जांच के बाद केस दर्ज हो सकता है।

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