महाकाल मंदिर प्रांगण में रंगपंचमी तक प्रवेश बंद, दर्शन के बाद सीधे निर्गम द्वार से बाहर कर रहे श्रद्धालुओं को

उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना संक्रमण के चलते महाकाल मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का रंगपंचमी तक प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि भक्तों को बाबा के दर्शन होते रहेंगे।

कलेक्टर के आदेश के बाद तहसीलदार ने सोमवार दोपहर मंदिर प्रांगण में बेरिकेड्स लगाकर भक्तों का मंदिर के बाकी हिस्से में प्रवेश प्रतिबंधित करवा दिया गया। हालांकि प्रांगण स्थित अन्य मंदिर के पुजारियों में इस आदेश को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि गणपति मंडपम् में भी तो भीड़ एकत्रित हो रही है।
धुलेंडी के दिन कलेक्टर द्वारा तहसीलदार पूर्णिमा सिंगी को आदेशित किया गया था कि रंगपंचमी तक मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं के आने जाने पर प्रतिबंध लगाया जाए। तहसीलदार द्वारा आदेश मिलने के बाद सोमवार की दोपहर 2 बजे के लगभग बेरिकेड्स लगवाकर मंदिर प्रांगण में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। श्रद्धालुओं को शंख द्वार और वीआईपी गेट से प्रवेश देकर सीधे बाहर निर्गम गेट की ओर निकाला जा रहा था। ऐसे में मंदिर प्रांगण स्थित भद्रकाली, सिद्धि विनायक, जूना महाकाल, स्वप्नेश्वर, बृहस्पतेश्वर, साक्षी गोपाल, अनादिकल्पेश्वर मंदिर के दर्शन से श्रद्धालु वंचित हो रहे थे।

बाहरी श्रद्धालुओं का हो रहा था जमावड़ा

तहसीलदार पूर्णिमा सिंगी का कहना था कि मंदिर प्रांगण में बाहर के प्रदेशों से आए श्रद्धालु खड़े होकर समय बिता रहे थे। उनके द्वारा सेल्फी लेकर काफी समय यहां पर व्यतीत किया जा रहा था, जिसके चलते कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं हो पा रहा था। ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने की अधिक संभावना थी। इसलिए यहां पर प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया।

मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन चालू हैं

बाहरी श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में खड़े होकर काफी भीड़ एकत्रित कर रहा था। जिसके चलते कोरोना संक्रमण की पूर्ण संभावना बन रही थी। इसी को देखते हुए कलेक्टर के आदेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन श्रद्धालुओं के दर्शन बाधित नहीं हुए हैं। उनके दर्शन लगातार चल रहे हैं। -पूर्णिमा सिंघी, तहसीलदार और सहायक प्रशासक मंदिर प्रबंध समिति

 

प्रत्यक्ष बचे, अप्रत्यक्ष को कोरोना ने घेरा

जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण की चपेट में आए अधिकांश कर्मचारी अप्रत्यक्ष रूप से श्रद्धालुओं से जुड़े हुए है। जबकि प्रत्यक्ष रूप से श्रद्धालुओं से प्रतिदिन मिलने जुलने वाले कर्मचारी कोरोना की चपेट में नहीं आ पाए हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासनिक भवन के कर्मचारी जोकि फाइल आदि से जुड़े होकर अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। वह एक दूसरे से पाजीटिव हो रहे हैं। जबकि श्रद्धालुओं से सीधे जुड़े होकर अपनी ड्यूटी निभा रहे कर्मचारियों को कोरोना अपनी चपेट में नहीं ले पाया है।

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