कोरोना महामारी ने मनुष्य को पूरी तरह से लाचार बनाकर छोड़ दिया है। शहर के कई बड़े लखपति अस्पतालों में बिस्तर नहीं ले पा रहे हैं। जिन्हें मुश्किल सेे बिस्तर मिल रहा है उन्हें आक्सीजन-दवाई और चिकित्सक जैसी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है।
इंजेक्शन के लिए मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हैं, किंतु इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। घर की तिजौरी में लाखों रुपए रखे हैं, किंतु अपने व्यक्ति को बचाने में कई लोग नाकामयाब हो रहे हैैं। एक अदृश्य वायरस ने संपूर्ण मनुष्य जाति को अपनी गिरफ्त में ऐसे लेे रखा है कि उससेे आजाद होना वर्तमान में तो असंभव सा नजर आ रहा है।
जब मनुष्य लाचार हो जाता है तो एकमात्र रास्ता ईश्वर की शरण का शेष रह जाता है। एक बार फिर ईश्वर की शरण में जाना जरूरी हो गया है। आज महाष्टमी का पर्व है। मान्यता रही है कि अष्टमी के नगर पूजन करनेे सेे माता रानी प्रसन्न होती हैं और शहर पर से विपदा टल जाती है। पिछले वर्ष भी अष्टमी पर नगर पूजन नहीं किया गया।
यह पूजन बाद में विद्वानों की सलाह पर किया गया था। प्रशासन इस बार उस गलती को नही दोहराए। अष्टमी के अवसर पर नगर पूूजन किया जाए। हो सकता है ईश्वरीय शक्ति कोई मदद करे।