कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने आम नागरिकों पर तरह-तरह की पाबंदियां लाद रखी हैं। दूसरी ओर वीआईपी इन पाबंदियों से परे हैं। उन्हें हर काम की छूट है। यहां तक कि मृत्यु उपरांत क्रिया कर्म में भी उन पर पाबंदी नहीं है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री के निजी सचिव ने रामघाट पर अपने संबंधी का मृत्यु उपरांत उत्तर कार्य किया। जो कि शिप्रा के सभी तटों पर प्रशासन ने प्रतिबंधित कर रखा है। इसके अलावा बाहर से आ रहे अन्य वीआईपी भी अपने संबंधियों के उत्तर कार्य शिप्रा के अलग-अलग घाटों पर पुलिस की मौजूदगी में करा रहे हैं।
इस बात की जानकारी जब श्री क्षेत्र पंडा समिति को लगी तो वे भी घाट पर उत्तर कार्य कराने पहुंच गए। पुलिस ने रोका तो विवाद की स्थिति बन गई। अपनी सख्त छबि के दोहरेे चरित्र वाली एक पुलिस अधिकारी यहां कानून कायदों की बात करने लगीं तो पंडे-पुजारियों नेे उन्हें वीआईपी के कर्मकांड होने का आइना दिखा दिया।
इन पंडे-पुजारियों का कहना है कि कर्मकांड में वीआईपी या आम जनता नहीं होना चाहिए। मोक्ष का अधिकार सभी को है। जिला प्रशासन को भी अपनी दोहरी नीति से बचना होगा, नहीं तो ऐसे विवाद आए दिन कई जगह देखने को मिलेंगे।