बर्खास्त गौ शाला प्रभारी की नौकरी पर वापसी, कंट्रोल रूम प्रभारी बनाया

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के चिंतामन जवासिया स्थित गौशाला में 6 गौवंश की मौत के बाद तत्कालिन गौशाला प्रभारी को बर्खास्त कर दिया गया था। अपील समिति ने उनको निर्दोष मानते हुए उनकी बर्खास्तगी समाप्त कर दी है। सोमवार को उन्होंने अपनी ज्वानिंग फिर से महाकालेश्वर मंदिर में दी है। लेकिन सवाल इस बात का उठ रहा है कि जब पूर्व गोशाला प्रभारी इस प्रकरण में अपील समिति के सामने निर्दोष साबित हुए तो आखिरकार इन मृत गोवंशों की मौत का जिम्मेदार कौन है और उसको क्यों बचाया जा रहा है ?

करीब ढाई माह पूर्व 14 अगस्त की शाम को मंदिर की गौ शाला में 6 गौ वंश की एक के बाद एक अचानक मौत हो गई थी। शाम के समय हुई मौतों के बाद शासकीय वेटरनरी अस्पताल के डॉक्टर अपनी टीम सहित गौ शाला पहुंचे थे और उन्होंने तत्काल दूसरी अन्य गायों का इलाज किया, जिससे बड़ी संख्या में गौ वंश मौत के मुंह में जाने से बच गए थे। गौ वंश की मौत का कारण हरा चारा बताया जा रहा था, जो कि लॉकडाउन के दौरान से लगातार वहां पर मौजूद 150 गोवंश को दिया जा रहा था। मृत गौ वंश की विसरा रिपोर्ट लैब में जांच के लिए भेजी गई थी, जो कि ढाई महीने बाद भी सार्वजनिक नहीं की गई है। मंदिर प्रशासन ने जानबूझकर जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक ना करते हुए इसे दबा लिया गया है ताकि इसकी गाज मंदिर के प्रभारियों और अन्य पर ना गिरे। लेकिन उस दौरान केवल पूर्व गौशाला प्रभारी को दोषी मानते हुए बलि का बकरा बना दिया गया था। परिणाम स्वरूप उनको नौकरी से लापरवाही के चलते बर्खास्त कर दिया गया था।

पहले ही दे चुके थे प्रभार से मुक्ति का आवेदन

गौ वंशों की मौत के बाद जांच के लिये हरा चारा को उस दौरान लैब तो भेजा ही गया था। इसके साथ ही मृत गौवंश का विसरा भी जांच के लिए सागर स्थित लैब भेजा गया था। इस प्रकरण को हुए लगभग ढाई माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक मंदिर प्रशासन ने विसरा रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है और ना ही इस मामले में किसी को दोषी मानते हुए दंडित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजा है। जानकारी के अनुसार बर्खास्त पूर्व गौ शाला प्रभारी निरंजन जूनवाल ने मंदिर के पूर्व प्रशासक सोजानसिह रावत को गौ शाला के प्रभार से मुक्ति होने के लिये आवेदन सौंपा था, क्योंकि उनके पास वाहन, विधि और विक्रम कीर्ति मंदिर का प्रभार भी था।

चार प्रभार एकसाथ होने के कारण वह गौ शाला का काम सही तरह से नहीं संभाल पाए थे। निवेदन के बावजूद उनको गौ शाला का प्रभारी बनाए रखा गया। स्थापना शाखा प्रभारी मोहित ठाकुर को भी गौ शाला प्रभारी पद से हटाने के लिये आवेदन दिया गया था। स्टोर शाखा प्रभारी अभिषेक उपाध्याय को सूखा चारा प्रदाय करने के लिए डिमांड पत्र मार्च-अप्रैल माह में सौंपा गया था। सूखे चारे के अभाव में हरा चारा लगातार खिलाए जाने से 6 गौवंश काल के गाल में समा गए थे। ऐसा उस दौरान इस तरह की बातें चर्चाओं में चल रही थीं।

हरा चारा देने वाले को भी बचाया

हरा चार प्रदाय करने वाली सहयोग कमर्शियल कंपनी के संचालक सिंघल को भी बचा लिया गया। जबकि मामला होने के दौरान हरा चारा में कोई विषाक्त वस्तु आ जाने से गौ वंशों की मौत होना माना जा रहा था। हरा चारा को जांच के लिये भेजा गया था, लेकिन इसकी रिपोर्ट को भी मंदिर प्रशासन ने दबा लिया। फौरी तौर पर मामले का निपटारा करते हुए पूर्व गौ शाला प्रभारी निरंजन जूनवाल को दोषी माना गया और बर्खास्त कर दिया गया।

दूसरे बर्खास्त कर्मचारी लगा रहे चक्कर

इस मामले की मात्र ढाई माह में ही सुनवाई पूरी हो गई। जबकि मंदिर के दूसरे बर्खास्त कर्मचारी पिंटू राठौर, संजय ठाकुर, सुभाष व्यास आज भी मंदिर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वे नौकरी पर वापस नहीं आ पा रहे हैं। इसी तरह निलंबित कर्मचारी शशिकांत शर्मा, मुकेश सोनपरत, मुकेश पटेल सहित लगभग 7 कर्मचारियों को महीनों बाद नौकरी पर वापस रखा गया। कर्मचारी सुधीर चतुर्वेदी की ही लगभग 2 साल बाद वापसी हो पाई।

अपील समिति ने नहीं माना गौ वंश की मौत का दोषी

सोमवार को बर्खास्त से सेवा में लिये गये गौशाला प्रभारी निरंजन जूनवाल ने अपनी ज्वाइनिंग मंदिर में दी है। बताया जाता है कि अपील समिति जिसमें निगम कमिश्नर, एडीएम और संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य शामिल थे, उन्होंने श्री जूनवाल की अपील को सुनकर 28 अक्टूबर को उनको गौवंश मौत के मामले में दोषी न मानते हुए पुन: नौकरी पर वापस लेने के आदेश दिए। बताया जाता है कि श्री जूनवाल की जगह मामले के दोषी मंदिर के प्रभारी थे। जिनको बचाने के चक्कर में श्री जूनवाल पर बर्खास्तगी की गाज गिराई गई थी। उन्हेें फिलहाल कंट्रोल रूम प्रभारी बनाया है।

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