कोरोना संक्रमण की रफ्तार अभी कुछ हद तक थमी है, लेकिन ये खत्म नहीं हुआ है। मौतों का सिलसिला जारी है। भले ही सरकारी रिकार्ड नहीं बोले, लेकिन श्मशान-कब्रिस्तान सच्चाई उगल रहे हैं कि कोरोना पूरे शबाब पर है। ब्लैक/व्हाइट फंगस के रूप में कोरोना के साइड इफेक्ट भी जानलेवा रूप में आना शुरू हो गए हैं।
कुछ शहरों में कोरोना की तीसरी लहर के संकेत की सुगबुगाहट आने लगी है। कुल मिलाकर जनता अभी मौत के मुहाने पर है। लेकिन जिम्मेदारों को राजनीति से फुर्सत नहीं है। कमल छाप लाशों के ढेर पर खड़े होकर सरकार की इमेज सुधारने में जुटे हैं। छवि सुधारने की मुहिम आईटी सेल की मदद से इस कदर जारी है कि उनकी छवि अब मुंहजोर के रूप में बनने लगी है। वे अपने पर होने वाले हर सच्चे-झूठे वार का जबाव देने के लिए साम-दाम-दण्ड से तैयार हैं। इसके लिए भले ही सत्ता का दुरुपयोग ही क्यों न करना पड़े।
दूसरी ओर पंजाधारी भी पीछे नहीं है। वे महामारी का जिम्मेदार सत्ताधारियों को बताते हुए राजनीति पर उतारू हैं। ऐसे में आम जनता का मरना तय है। न कोई व्यवस्था संभालने वाला है और न ही हालचाल जानने वाला। जनप्रतिनिधियों के हाल देख लालफीताशाही खुश है और मनमानी पर उतारू है।